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स्टार्टअप से अपना भविष्य ख़ुद तय कर रहीं कश्मीरी महिलाएं

Khalis Foods की संस्थापक डॉ. रुखसत कहती हैं, “ऊंची तालीम का कोई मतलब नहीं है अगर आप अपने समाज की बेहतरी में कोई योगदान न कर सकें।”


By Team Mojo, 13 Jan 2023


Photo Credit: Haris Jeelani Toogo

कश्मीर की महिलाएं आधुनिक तालीम हासिल करके बड़ी-बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियों को चुनने के बजाय स्टार्टअप यानी स्व-रोजगार का रास्ता चुन रही हैं। वे अपनी तकदीर ख़ुद अपने हाथों लिखने की बात पर अमल कर रही हैं। ये महिलाएं अपने कौशल और बुलंद हौसले के बलबूते अपना काम घर से ही चला रही हैं। उनके अनुसार, इसके माध्यम से वे अपने साथ-साथ और भी लोगों को रोजगार दे रही हैं। इसमें क्रोशिया से बुनाई, घर में फ्रोजन फूड तैयार करने से लेकर कई ऐसे घरेलू काम हैं जिसके साथ ये महिलाएं अपने व्यापार को आगे बढ़ा रही हैं। ये महिलाएं पुरुष प्रधान समाज के उन मान्यताओं को भी तोड़ रही हैं जिसमें महिलाओं का गृहस्थ जीवन के साथ रोज़गार न कर पाने जैसी जड़ परंपराएं हैं। भविष्य की उम्मीद बनकर ये महिलाएं कश्मीर में आए दिन होने वाली बंदियों, चुनौतियों को भी आईना दिखा रही हैं। वे अपने नए-नए प्रयासों से वादी में आने वाली परेशानियों को परास्त कर रही हैं। ऐसी ही कुछ कश्मीरी महिलाओं से Mojo Story ने उनकी नई सोच, उनके स्टार्टअप्स के बारे में बात की।

‘Craft World Kashmir’ की सह-संस्थापक 32 वर्षीय बीनिश कहती हैं, “अगर आपको कोई कला आती है तो किसी भी व्यवधान में (जिसमें बाहरी गतिविधियां ठप हों) आप घर में बैठकर उस कला के साथ कुछ कर सकते हैं।” क्रॉफ्ट वर्ल्ड कश्मीर क्रोशिया से बुने उत्पाद तैयार कर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (इंस्टाग्राम/फेसबुक) के माध्यम से व्यापार करने वाला एक समूह है, जिसे दो दोस्त बीनिश और उमैरा ने 2016 में शुरू किया था। बीनीश कहती हैं कि उन्होंने जब शुरुआत की, उसके कुछ ही समय बाद कश्मीर में बंदी और यहां आए दिन होने वाली हड़तालें ज़रूर कुछ बाधा बनीं, लेकिन हमने काम जारी रखा। वे आगे कहती हैं कि कोरोना काल में उनके उत्पादों की डिलीवरी पर प्रभाव पड़ा, मगर साथ ही उनका मानना है कि अगर आप एक कलाकार हैं तो आप घर में बैठे भी नई चीज़ें कर सकते हैं। ठीक इसी तर्ज़ पर, उन लोगों ने भी उस समय में बहुत सारी नई कलाएं सीखने और उन्हें आजमाने का काम किया। वे बताती हैं कि “उनके उत्पाद आज कश्मीर से बाहर भी देश भर में पसंद किए जा रहे हैं।”

सह-संस्थापक उमैरा कहती हैं, “लड़कियों पर समाज और परिवार की पाबंदी होती है, मगर हम इस मामले में भाग्यशाली हैं कि हमें इस कार्य में हमारे परिवार का पूरा समर्थन मिला।” वे कहती हैं कि अगर परिवार के लोग आपका समर्थन करते हैं, तो इससे पता चलता है कि आप सही रास्ते पर हो। उमैरा का मानना है कि “लड़कियों को इस तरह के प्रयास के लिए आगे आना चाहिए।”

‘क्रॉफ्ट वर्ल्ड कश्मीर’ से जुड़ी फरहत कहती हैं कि “खुशी होती है कि अपना कमा रही हूं। इस काम ने आज इस काबि़ल बना दिया है कि घर पर भी बैठ जाऊं तो अपना कुछ काम कर सकती हूं।” वहीं एक दूसरी सदस्य हिना कहती हैं, “मैं इनसे जुड़ी क्योंकि बुनाई मेरी हॉबी है और मैं अपने शौक़ को छोड़ना नहीं चाहती थी।” हिना सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी हैं, अभी आपदा प्रबंधन में परस्नातक कर रही हैं और एक कंपनी में बतौर आईटी काउंसलर नौकरी भी करती हैं। वे बताती हैं कि इसी दौरान उन्हें पता चला कि वह यहां कस्टमर काउंसलिंग के अलावा बुनाई का काम भी कर सकती हैं।

Photo Credit: Haris Jeelani Toogo

कश्मीर में ऐसी कई महिलाएं हैं जो पुरानी मान्यताओं और पाबंदियों को तोड़कर अपना काम शुरू कर रही हैं। ये महिलाएं अपनी पहल से कश्मीर की अन्य महिलाओं को भी प्रभावित कर रही हैं। वे ना सिर्फ़ ख़ुद एक मनपसंद पेशा अपना रही हैं, बल्कि और भी कई लोगों को इस सफ़र में अपने साथ लेकर चल रही हैं।

श्रीनगर की 33 वर्षीय डॉ. रुखसत जिन्होंने 2019 में ‘Khalis Foods’ की स्थापना की, फूड एंड टेक्नोलॉजी विषय में डॉक्टरेट हैं। रुखसत को कई जगहों से नौकरी का मौक़ा मिला, लेकिन उन्होंने उन सबको नकार कर अपने शौक़ के काम को प्राथमिकता दी। वे फ्रोजन फूड्स तैयार करती हैं। रुखसत को खाना बनाना और उसे लोगों तक पहुंचाना काफ़ी पसंद है। इसे ही उन्होंने अपना पेशा बनाया। रुखसत अभी छह लोगों के साथ मिलकर घर से ही काम कर रही हैं, मगर उनका कहना है कि आगे वे इसका विस्तार करके कश्मीर के सभी जिलों में अपने उत्पादों की डिलीवरी करना चाहती हैं। वे कहती हैं कि “उनकी सफ़लता के पीछे लोगों के स्वास्थ के मद्देनजर घर के बने खाद्य उत्पाद रहे।” उनके अनुसार, “हालांकि सफ़र आसान नहीं रहा। अगस्त 2019 में यह काम शुरू किया, ठीक दो दिन बाद ही कश्मीर में इंटरनेट ब्लैकआउट हो गया और हमारे सारे कनेक्शन टूट गए। दूसरी बात, समाज ने बहुत मुश्किल से हमारे काम को स्वीकार किया। लोगों के लिए यह सोचना कठिन होता है कि एक पीएचडी धारक कहीं लेक्चररशिप या कोई नौकरी करने के बजाय ऐसे काम कर रही है।”

रुखसत आगे कहती हैं, “मेरा यह सोचना था कि मैं मेरे साथ-साथ और कुछ लोगों को भी रोज़गार प्रदान करूं, जो मैं इस काम के माध्यम से कर सकी।” उनका मानना है कि, “आप चाहे जितनी भी ऊंची तालीम हासिल कर लें, जब तक आप अपने समाज की बेहतरी के लिए कुछ न करें, तब तक उसका कोई फ़ायदा नहीं होता।” वे आगे कहती हैं, “मैं अपनी शिक्षा को प्रैक्टिकली आज़माना चाहती थी।” उन्होंने बताया कि हमें हमारे उत्पाद को लेकर देश भर से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। जम्मू, दिल्ली, केरल, चंडीगढ़ और देश के अन्य शहरों के लोग भी चाहते हैं कि उन तक हमारे उत्पाद पहुंचें।

Photo Credit: Haris Jeelani Toogo

ऐसा ही एक स्टार्टअप श्रीनगर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकीं 33 वर्षीय हिरा भी कर रही हैं। हिरा ने क्लाउड किचेन का काम शुरू किया, जिसमें वह मीट से तैयार किया जाने वाला हरीसा बनाती हैं और उनके संगठन ‘Fall Winter’ के माध्यम से उसकी पूरे कश्मीर में और देश के अन्य शहरों में भी डिलीवरी कराती हैं, खासकर उन कश्मीरियों को जो देश के अन्य हिस्सों में रहते हैं। ‘हरीसा’ कश्मीर के स्थानीय लोगों के लिए सर्द मौसम में काफ़ी पसंद किया जाने वाला एक विशेष खाद्य पदार्थ है। इसे मीट, चावल और मसालों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। मगर चूंकि इसे बनाने में काफ़ी श्रम शक्ति की ज़रूरत होती है, ऐसे में यह अब तक पुरुष हलुवाइयों तक ही सीमित रहा। हिरा इस मान्यता को तोड़ रही हैं। वे बताती हैं कि उन्हें शुरू में हरीसा बनाने के तरीके को लेकर लोगों से कड़ी प्रतिक्रिया भी मिली।

हिरा कहती हैं, “मेरे पर खुदा मेहरबान है। मैंने कोई ख़ास चुनौतियों का सामना नहीं किया है। चुनौती तब होती है जब आपका परिवार आपके समर्थन में नहीं होता।” आगे वे कहती हैं, “हालांकि जब मैंने शुरुआत की तो कुछ टिप्पणियां ऐसी भी आईं जब लोगों ने कहा कि मैडम आप क्या ही कर रही हैं। प्रेशर कुकर में हरीसा तैयार कर रही हैं, यह कैसा हरीसा है!” वे कहती हैं, “चूंकि इस काम में और भी लोगों की ज़रूरत लगती है, तो मैंने मेरे घर पर रोज़गार शुरू किया और ऐसे लोगों को ढूंढना शुरू किया जो यहां काम कर सकें। मैंने मेरे घर पर 20 साल से काम कर रहे हेल्पर को इसमें रोज़गार दिया, वह हरीसा बनाने में मेरी मदद करते हैं। मेरे घर पर पहले से रहे ड्राइवर को भी मैंने इसमें काम दिया और वे डिलीवरी में हमारी मदद करते हैं। मैंने इसके लिए बाकायदा डिलीवरी के हिसाब से उन्हें उनका भुगतान करती हूं।” हिरा के अनुसार, “यह मेरे अकेले की सफ़लता नहीं है। इसमें डिलिवरी करने वाले हमारे सहयोगियों की अहम भूमिका है।”

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