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झारखंड में अंकिता की दर्दनाक मौत, हत्यारे शाहरुख की बेशर्म हँसी पर आक्रोश

झारखंड की राजधानी रांची से उपराजधानी दुमका की करीब 290 किलोमीटर की दूरी सड़क से तय करने में कम से कम सात घंटे लग जाते हैं. लेकिन, वहां के जरुवाडीह मोहल्ले की अंकिता के इकतरफा प्यार में पड़े शाहरुख ने सोते वक्त उसके शरीर में आग लगा दी, तो यह बात मिनटों में रांची पहुंच गई. तब रांची में भारी बारिश हो रही थी और सबकुछ शांत था. वह तारीख थी 23 अगस्त.


By Ravi Prakash , 30 Aug 2022


वहां के प्लस टू गर्ल्स हाइस्कूल में 12 वीं में पढ़ने वाली अंकिता के शरीर में आग लगाकर उसे मारने की कोशिश करने वाला शाहरूख भी उसी के मोहल्ले में रहता था. वह पिछले कुछ दिनों से अंकिता का पीछा कर रहा था. उससे दोस्ती करना चाहता था. यह बात अंकिता को मंजूर नहीं थी. नतीजतन 22 अगस्त की रात 8.30 बजे फोन कर उसने अंकिता को मारने की धमकी दी. इसके महज सात घंटे बाद सुबह 4 बजे उसने खिड़की के बगल में सो रही अंकिता के शरीर पर पेट्रोल छिड़क दिया. माचिस की जलती तीली फेंक कर आग भी लगा दी. जलन के अहसास से जब अंकिता की नींद खुली, तो उसने शाहरूख और उसके एक दोस्त छोटू को देखा. उसके हाथ में पेट्रोल और माचिस का डब्बा था.

तब तक तारीख बदल चुकी थी. अंकिता ने खुद को बताने का जतन किया. बुरी तरह झुलसी अवस्था में उसे दुमका के फूलो झानो मेडिकल कालेज में एडमिट कराया गया. वहां के डाक्टर्स ने उसकी प्रारंभिक चिकित्सा की और स्थिति थोड़ी स्टेबल होने के बाद उसी शाम बेहतर इलाज के लिए रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) रेफर कर दिया. 23 अगस्त की देर रात वो रिम्स में एडमिट करायी गई. वहां इलाज शुरू हुआ. वह रिस्पांड करने लगी. लेकिन, 27-28 अगस्त की दरमियानी रात करीब 2.30 बजे वह जिंदगी की जंग हार गई. 29 अगस्त को कड़ी सुरक्षा के बीच उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.

अब वह जिंदा नहीं है. मरने से पहले दुमका के पत्रकारों और वहां के मजिस्ट्रेट को दिए गए उसके बयान की वीडियो क्लिप है और उसके घर के हरे रंग की दीवारों पर टंगी उसकी काली-सफेद यादें. हां, उसकी मौत को लेकर हो रही सियासत भी चरम पर है. सोशल मीडिया पर किए जा रहे पोस्ट और दुमका में 28 और 29 अगस्त को हुए प्रदर्शनों में इस मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिशें भी जगजाहिर हैं. इसकी एकमात्र वजह है अंकिता और शाहरूख का ताल्लुक अगल-अगल धर्मों से होना. झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी को इस बहाने बड़ा मुद्दा मिल गया है और उसके नेता पहले से ही मुश्किलों से घिरी हेमंत सोरेन की सरकार के खिलाफ इस मुद्दे को उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.

इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अंकिता के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता दिलवायी है. रांची से एडीजी एम एल मीणा को इस मामले की जांच के लिए दुमका भेजा है. लोगों से सदभाव बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि इसकी सुनवायी फास्ट ट्रैक कोर्ट में करायी जाएगी. अंकिता को इंसाफ दिलाया जाएगा. हत्यारोपी को कठोरतम सजा दिलायी जाएगी ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो.

राज्यपाल रमेश बैस ने भी अंकिता के घरवालों से फोन पर बात करने के बाद उन्हें 2 लाख रुपये की सहायता दी है. उन्होंने इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि मौजूदा सरकार में लोग कहीं पर भी सुरक्षित नहीं हैं. बकौल राज्यपाल, उन्होंने सुरक्षा के मुद्दे पर डीजीपी को निर्देश दिए थे लेकिन उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला.

राज्यपाल का यह बयान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने राजभवन पर विधायकों की हार्स ट्रेडिंग में शामिल होने के आरोप लगाए थे. आफिस आफ प्राफिट के एक मामले में चुनाव आयोग द्वारा कथित तौर पर हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द किए जाने की सिफारिश के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव बढ़ा है.

पिछले 25 अगस्त से राज्य में सियासी हलचल है लेकिन राजभवन ने अभी तक इस मसले पर कोई निर्णय नहीं लिया है. न चुनाव आयोग ने ही ऐसे किसी पत्र की पुष्टि की है. इसी बीच अंकिता की मौत से झारखंड की सियासत में नया ट्वीस्ट आ गया है.

इस बीच झारखंड पुलिस ने अंकिता मामले के मुख्य आरोपी शाहरुख और उसके सहयोगी छोटू को गिरफ्तार कर लिया है. दुमका के एसपी अंबर लकड़ा ने बताया कि शाहरुख की गिरफ्तारी 23 अगस्त को ही घटना के तुरंत बाद कर ली गई थी. छोटू 29 अगस्त को पकड़ा जा सका. इन दोनों को जेल भेज दिया गया है. इधर, पुलिस कस्टडी में पेशी के लिए ले जाते वक्त शाहरुख के बेखौफ बाडी लैंग्वेज की क्लिप्स सोशल मीडिया से गुजरने के बाद अब टीवी न्यूज चैनल्स के स्टूडियो तक पहुंच गई है. हर जगह जस्टिस फार अंकिता कैंपेन चलाया जा रहा है.

अंकिता के पिता संजीव सिंह ग्रोसरी की एक दुकान में काम करते हैं. उनकी तनख्वाह 10 हजार रुपये महीना है. उनकी पत्नी की मौत कैंसर से हो चुकी है. वे अपने बच्चों और मां-बाप के साथ रहते हैं. उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. उन्होंने अपनी तीन संतानों में सबसे बड़ी इशिता का ब्याह कर दिया है. अंकिता दूसरे नंबर पर थी. उनका इकलौता बेटा छठी क्लास में पढ़ता है.

उन्होंने बताया – शाहरुख ने अंकिता की किसी सहेली से उसका फोन नंबर ले लिया था. वह 10-12 दिनों से उसे बार-बार फोन करता था. 22 अगस्त की शाम 8.30 पर उसने अंकिता को फोन कर उसे जान से मारने की धमकी दी. जब मैं दुकान से लौटा तो अंकिता ने मुझसे यह बात बतायी. तब रात हो चुकी थी. मैंने सुबह होने पर शाहरुख से बात करने की सोची और सबलोग सोने चले गए. आधी रात बाद सुबह 4 बजे शाहरुख ने खिड़की के बगल में सोयी मेरी बेटी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. दुख है कि हम उसकी जान नहीं बचा सके. मेरी बेटी तड़प-तड़प के मरी है. हम चाहते हैं कि उसके हत्यारे शाहरुख को फांसी की सजा मिले. तभी मेरे मन को शांति मिलेगी.

अंकिता का फर्दबयान

अंकिता की मौत से पहले के उसके कमसे कम 2 वीडियो क्लिप्स वायरल हो रहे हैं. जिसमें वह पूरी कहानी बताती है. इन वीडियो क्लिप्स में से एक वहां के मजिस्ट्रेट के सामने दिना गया फर्दबयान है, जिसके आधार पर पुलिस ने दुमका टाउन थाने में रिपोर्ट दर्ज की है.

वीडियों में अंकिता कहती है – उसका नाम शाहरुख है. वह 10-15 दिनों से हमको तंग रहा था. हम स्कूल जाते थे, तो आगे-पीछे करता था. मेरा नंबर किसी से ले लिया था. बोलता था कि बात नहीं करेगी तो ऐसे करेंगे, वैसे करेंगे. बात तुम करो. बात नहीं करेगी तो तुमको मारेंगे. सबको मारेंगे. वह बहुत लड़कियों से बात करता है. घुमाता है. धमकी दिया था हमको रात को 8.30 बजे. हम पापा को बताए थे. तब तक 4 बजे सुबह ऐसा करके चला गया.

प्रशासन ने क्या किया

अंकिता के झुलसने के तुरंत बाद दुमका के डिप्टी कमिश्नर रविशंकर शुक्ल ने उसके दादा अनिल सिंह को एक लाख रुपये का चेक भेजा था. डीसी ने तब कहा कि प्रशासन उनके परिवार के साथ है और अंकिता का बेहतर इलाज कराया जाएगा. उन्होंने उसे रांची भिजवाने में मदद भी की. 29 अगस्त को उसके अंतिम संस्कार के बाद डीसी खुद उसके घर गए और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा के मुताबिक अंकिता के पिता संजीव सिंह को 9 लाख रुपये का एक और चेक सौंपा. इस तरह सरकार ने उसके परिवार वालों को अब तक 10 लाख रुपये की सहायता दी है. अंकिता के पिता ने भी कहा है कि अगर उन्हें सहायता नहीं मिली होती, तो अंकिता का इलाज कराने में दिक्कत होती.

दुमका क्यों नहीं गए बसंत सोरेन

दुमका के विधायक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने कहा कि बीजेपी और उसके इशारे पर काम कर रही एजेंसियों द्वारा बेवजह पैदा किए गए सियासी संकट के कारण वे घटना के वक्त दुमका में नहीं थे. इस कारण अंकिता के परिजनों से मिलने नही जा सके. लेकिन, इसका ने मतलब भी नहीं कि मैं बैपरवाह था. मैंने उसके इलाज के लिए सभी आवश्यक निर्देश दिए और संबंधित लोगों से संपर्क में रहा. मेरे कार्यकर्ता वहां मौजूद थे और मैं पल-पल की खबरों से अपडेटेड था.

बसंत सोरेन ने कहा – हमें जैसे ही इस घटना का पता चला, उसके परिजनों को इलाज के लिए एक लाख रुपये का चेक दिलवाया गया. डाक्टरों से उसका ल लेते रहे. इस बीच उनकी मौत हो गई. इसका मुझे बहुत दुख है. मैंने वहां के डीसी और एसपी से बात कर इसकी सुवनायी फास्ट ट्रैक कोर्ट से कराने की बात कही. मैंने उसके परिजनों के लिए मुआवजे की मांग भी की. मुख्यमंत्री जी ने मेरी दोनों मांगें मान ली हैं. इसकी सुनवायी फास्ट ट्रैक कोर्ट से होगी और अंकिता के परिजनों को 10 लाख की सहायता भी दिलायी जा चुकी है.

मौत की सियासत

28 अगस्त की अल सुबह जब अंकिता की मौत की खबर फैली, तो बीजेपी के अधिकतर बड़े नेता रांची से दूर मधुबन में पार्टी के एक प्रशिक्षण शिविर में मौजूद थे. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने समर्थक यूपीए विधायकों के साथ ताबड़तोड़ मिटिंग्स कर रहे थे. इससे एक दिन पहले वे विधायकों के साथ पिकनिक पर गए थे, जिसकी तस्वीरों का इस्तेमाल विपक्षी बीजेपी के नेता अब उन्हें घेरने के लिए कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने इस मामले को समय रहते संभाला और मुआवजे की घोषणा, फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवायी और रांची से एक सीनियर आइपीएस अफसर को दुमका भेजकर सरकार की संवेदनशीलता और चुस्ती का संदेश दिया.

इसके बावजूद बीजेपी विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी 29 अगस्त की शाम दुमका पहुंचे और पूर्व मंत्री डा लुईस मरांडी और रणधीर सिंह के साथ अंकिता के घर जाकर उसके परिवार वालों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने कहा कि सरकार अगर सच में संवेदनशील होती, तो अंकिता की जान बचायी जा सकती थी. उन्होंने कहा कि एक ओर तो यह सरकार अपराधियों का इलाज एयर एंबुलेंस से भेजकर कराती है, वहीं दूसरी तरफ अंकिता जैसी बेटियों की जान नही बचा पाती है. यह उनके एक खास संमुदाय के प्रति तुष्टीकरण की नीति का बयान है.

उन्होंने दुमका में पदस्थापित एक मुस्लिम डीएसपी पर भी संप्रादायिक और आदिवासी विरोधी होने के आरोप लगाए और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की.

इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने अंकिता के परिजनों के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी. हालांकि, उन्होंने अंकिता के दादाजी द्वारा उन्हें दुमका  बुलाये जाने के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि उनकी तबीयत खराब है. इसलिए वे 2-3 दिन बाद दुमका आ पाएंगे.

दुमका में धारा 144 लागू

दुमका में अधिकतर दुकानें रविवार से ही बंद हैं. बीजेपी, बजरंग दल और दूसरे हिंदूवादी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 28 अगस्त की दोपहर को एक जुलूस निकाल कर दुकानें बंद करायी थी. यह बंदी 29 अगस्त को भी रही. अदिकतर दुकानें बंद रहीं. स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. इसके मद्देनजर दुमका के एसडीओ ने वहां निषेधाज्ञा (धारा-144) लगा दी है. अब 5 या 5 से अधिक लोग एक जगह जमा नहीं हो सकते.

अंकिता का आरोपी

अंकिता की हत्या का आरोपी शाहरूख का परिवार भी उसी मोहल्ले में रहता है. उसके पिता पेंटर थे, जिनकी बहुत पहले मौत हो चुकी है. वो भी पेंटिंग का काम कर अपना घर चलाता है. इस घटना के बाद उसके परिवार वाले अपना घर छोड़कर कहीं और चले गए हैं. वे इस मुद्दे पर कुछ भी बोलना नहीं चाहते.

इधर अपने ट्वीट्स के लिए चर्चित बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है कि वे क्राउड फंडिंग के जरिए अंकिता के परिजनों के लिए पैसा जुटा रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि वे दिल्ली के बीजेपी नेता कपिल मिश्र और मनोज तिवारी के साथ 31 अगस्त को दुमका जाकर यह रकम उसके परिजनों को सौंपेंगे. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि वे 25 लाख से एक करोड़ की राशि उन्हें दे पाएंगे.

इस बीच विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल से जुड़े लोगों ने भी रांची और जमशेदपुर समेत कुछ और शहरों में प्रदर्शन किए हैं.