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जलवायु परिवर्तन और बढ़ती लागत से परेशान प्याज का किसान

मौसम चक्र में आ रहे बदलाव के कारण प्याज के किसानों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं। किसानों को उनकी प्याज इस बार बढ़ी लागत के बाद सस्ते दामों में बिककर रुला रही है।


By Aditya Singh , 30 Apr 2023


मानपुर गांव में किसान सुभाष पाटीदार के गोदाम में प्याज रखा जा रहा है।

मध्यप्रदेश के मालवा निमाड़ इलाके में प्याज की अच्छी पैदावार होती है। इस बार भी खेतों में प्याज का उत्पादन अच्छा है, लेकिन किसान फिर भी खुश नहीं हैं। इसकी वजह है प्याज के दाम, जो इस बार फिर लागत से भी कम हैं। इंदौर से 40 किमी दूर मानपुर गांव के किसान सुभाष पाटीदार अपना प्याज एक दूसरे गांव में बने वेयर हाउस में रखवा रहे हैं। इस वेयर हाउस के लिए उन्होंने बैंक से कर्ज़ लिया है। वहीं, इसी गांव के एक दूसरे किसान महेश पाटीदार अपने खेतों से जल्द से जल्द प्याज निकालकर मंडी में बेचना चाहते हैं।

एक ही इलाके के इन दोनों किसानों की स्थितियां अलग-अलग इसलिए हैं, क्योंकि प्याज इस बार किसानों को परेशान कर रही है। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी चोइथराम मंडी में फिलहाल औसत से अच्छे दर्जे की प्याज का दाम 6-10 रुपये प्रतिकिलोग्राम के बीच चल रहा है। वहीं, निम्न क्वालिटी की प्याज फिलहाल करीब 2-4 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर भी बिक रही है।

फिलहाल, मंडी में प्याज की रोजाना करीब 60 से 70 हजार कट्टे (बोरी) की आवक हो रही है। यहां के एक बड़े व्यापारी सतीष पाटीदार बताते हैं कि यह आवक अच्छी तो है, लेकिन जो प्याज आ रहा है; वह किसान मजबूरी में यहां ला रहे हैं। 

किसान की इस मजबूरी को समझाते हुए सुभाष पाटीदार बताते हैं कि उनकी प्याज अव्वल दर्जे की हुई है और इस बार उनके पास प्रति बीघा में करीब 17-18 टन तक उत्पादन हुआ है। इसके लिए उन्होंने काफी खर्च किया है। उनकी प्याज उगाने की लागत करीब 11 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। उसके बाद बाद इसका रखरखाव और मंडी से खेतों में जाकर बेचने में यह खर्च करीब एक से दो रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ जाता है। ऐसे में इस बार उन्हें प्रति किलोग्राम करीब 13 रुपये तक की लागत आई है और प्याज का अधिकतम दाम केवल 10 रुपये प्रतिकिलो तक है। ऐसे में उनके उत्पादन के हिसाब से उन्हें घाटा भी ज्यादा होगा। यही वजह है कि वे अपना प्याज गोदाम में रख रहे हैं। वे कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि प्याज के दाम बढ़ेंगे और वे फिर उसे बेच पाएंगे। हालांकि यह भी तय नहीं है, क्योंकि दो महीने बाद प्याज का वजन करीब 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है और बाजार में दूसरे राज्यों के प्याज भी आ जाते हैं। ऐसे में प्याज से मुनाफा कमाने की उनकी उम्मीद अभी कई आशंकाओं से घिरी हुई है।

इंदौर के इस इलाके में अच्छा प्याज होता है और जब किसानों को इसके दाम नहीं मिलते तो वे इसे सड़कों के किनारे फेंक जाते हैं। इसी सड़क के किनारे कई खेतों में प्याज खेतों से उखाड़ी जा रही है। मौसम विभाग ने बारिश की आशंका जताई है ऐसे में किसान जल्दी में हैं ताकि प्याज भीगे नहीं, क्योंकि बारिश को प्याज का दुश्मन कहा जाता है।

इन्हीं में से एक महेश पाटीदार का भी खेत है। वह बताते हैं कि उनकी प्याज की लागत करीब 9 रुपये प्रति किलोग्राम तक रही है, जो हर साल बढ़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि खाद और बीज लगातार महंगे हो रहे हैं। वे बताते हैं कि इसके अलावा बेमौसम बारिश ने भी उन्हें परेशान किया है। इलाके में कई बार गर्मियों के दिनों में बारिश हुई, जिससे प्याज के पौधे टूट गए और अब मध्यम दर्जे की प्याज निकल रही है। वह कहते हैं कि ऐसी प्याज को रखा नहीं जा सकता है, इसलिए इसे जल्द से जल्द बेचना होगा; वरना यह नमी में और खराब हो जाएगी और इसका कोई दाम ही नहीं मिलेगा।

इंदौर के नजदीक मानपुर के खेतों में रविवार सुबह तक प्याज निकाला जा रहा था, जिसके बाद यहां तेज बारिश हुई।

बेमौसम बारिश की मार

रविवार को इंदौर जिले में फिर तेज़ बारिश के साथ ओले गिरे। सतीष पाटीदार बताते हैं कि इसके बाद समीकरण बदल चुके हैं। आने वाले दिनों में प्याज के दाम चढ़ेंगे, लेकिन इसका कोई लाभ किसानों को नहीं होगा क्योंकि वे सबसे अधिक घाटे में हैं।

वह आगे कहते हैं कि बारिश में सबसे अच्छे दर्जे का प्याज भी नहीं बच सकता और मध्यम दर्जे का प्याज तो खत्म ही समझिए। वे बताते हैं कि पैसे की जरूरत में जिन किसानों ने प्याज उगाकर कम दाम में बेच दिया, उन्हें तो घाटा हो ही गया और जिन किसानों ने रख लिया वे भी ज्यादा दिनों तक इसे नहीं संभाल पाएंगे। उन्हें भी यह कुछ ही दिनों में बेचना होगा।

इस दौरान केवल उनका फायदा होगा, जिनके पास सुविधा संपन्न गोदाम हैं और जो प्याज का जोखिम उठा सकते हैं। यानी केवल प्याज के बड़े किसान बच पाएंगे, जबकि छोटे किसान शायद ही अपनी लागत भी निकाल पाएं। वे कहते हैं कि इस दौरान मंडियों में काफी प्याज आएगा और फिर इसके बिकने के कुछ दिनों बाद ही दाम बढ़ने शुरू होंगे।

देवास के प्याज उत्पादक किसानों के संघ के गोर्वधन पाटीदार कहते हैं कि उनके इलाके में इस बार काफी मात्रा में किसानों ने प्याज उगाया है। अनुमान के मुताबिक यह संख्या करीब चालीस हजार तक हो सकती है। लेकिन यह घाटे का सौदा है, क्योंकि प्याज के दाम नहीं मिल रहे हैं और ऐसी स्थिति में नुकसान होना तय है।

इसी तरह रतलाम जिले के कुशलगढ़ में कमलेश पाटीदार बताते हैं कि उन्होंने इस बार पांच एकड़ में प्याज लगाया था। उन्होंने बताया कि रतलाम की मंडी में औसत दर्जे की प्याज का दाम औसतन 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम तक है, जबकि अच्छे दर्जे का प्याज करीब 8 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है।

वह आगे कहते हैं कि उन्होंने अपना अच्छा प्याज ही स्टोर करके रखा है, लेकिन औसत दर्जे का प्याज उन्होंने घाटे में ही बेच दिया है। उनकी करीब 80 टन के आसपास उपज हुई है, लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि उन्होंने अपना काफी प्याज करीब 5 रुपये प्रति किलोग्राम तक घाटे में बेचा है।

निमाड़ इलाके में इस बार काफी बारिश और ओलावृष्टि हुई है, जिससे किसानों को बेहद नुकसान हुआ। यहां खरगोन जिले में प्याज उगाने वाले किसान योगेश कुशवाहा बताते हैं कि उनका प्याज खेत में ही खराब हो रहा है, क्योंकि लगातार बारिश हो रही है।

वह आगे कहते हैं कि इस बार उनके इलाकों में प्याज का उत्पादन बेहद कम आया है, क्योंकि काफी दिनों से मौसम बदला हुआ है। ऐसे में फसलें बर्बाद हो गईं और अब प्याज निकालने के समय एक बार फिर बारिश हो रही है, जिससे प्याज भीग रहा है। ऐसे में इसे कुछ ही घंटों में मंडी में ले जाकर बेचा नहीं गया तो पूरा का पूरा खराब हो जाएगा।

गोदाम में प्याज इकट्ठा करते हुए मजदूर।

प्याज की मांग घटी

चोइथराम मंडी में ही रोजाना करीब 100 टन प्याज का कारोबार करने वाले गणेश पाटीदार कहते हैं कि प्याज के एक्सपोर्ट पर किसी तरह का बैन नहीं है, लेकिन वह फिर भी बंद है क्योंकि प्याज की मांग नहीं आ रही है। वह कहते हैं कि इंदौर का प्याज कोलंबो और बांग्लादेश में अच्छी मात्रा में जाता रहा है, लेकिन कोलंबो में अब प्याज नहीं भेजा जाता। वहीं, इस बार अब तक बांग्लादेश की भी मांग नहीं आई है। ऐसे में काफी मात्रा में प्याज गोदामों में और मंडी में रखा हुआ है। इसके साथ बारिश ने इसकी क्वालिटी खराब की है, जिसके चलते दाम नहीं मिल रहे हैं।

वह आगे कहते हैं कि आने वाले दिनों में राजस्थान और दक्षिण के राज्यों से भी प्याज आएगा और ऐसे में मंडियों में प्याज की अच्छी मात्रा बनी रहेगी, जिसके चलते प्याज के अच्छे दाम मिलने की संभावना उन्हें कम ही नजर आती है।

मालवा-निमाड़ इलाके के लगभग सभी जिलों में प्याज की हालत खराब है। इंदौर, उज्जैन और रतलाम जैसे जिलों की बड़ी मंडियों में जहां किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना होती है, तो वहीं दूसरे जिलों की कम व्यापार करने वाली मंडियों में किसानों का खासा नुकसान होता है।

इंदौर से करीब अस्सी किमी दूर धार जिले के किसान रणजीत पटेल अपने खेतों से प्याज निकालकर घर में रख रहे हैं। वह कहते हैं कि उनका अच्छा प्याज पांच रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है। पटेल ने बताया कि मौसम के बदलाव ने प्याज की लागत बढ़ा दी और उन्हें ज्यादा कीटनाशकों को उपयोग करना पड़ा है। वहीं, अब फिर मौसम बिगड़ रहा है, ऐसे में अब प्याज घर में सुरक्षित नहीं है।

वह आगे कहते हैं कि छोटे किसानों के पास प्याज भंडारण के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती और यही वजह है कि उन्हें प्याज में हमेशा ही घाटा होता है। पटेल कहते हैं कि अब कुछ ही घंटों में प्याज मंडी में बेचना है, फिर उन्हें दाम अच्छे मिलें या नहीं।

इसी इलाके के किसान महेश यादव कहते हैं कि उन्होंने प्याज की फसल को पानी से बचाने के लिए दिन-रात मेहनत की है, लेकिन अब उसके दाम नहीं मिल रहे। प्याज में लागत बढ़ चुकी है और किसानों की जरुरत के मुताबिक नीतियां बनाने में काफी समय लगता है, ऐसे में अब प्याज किसान के लिए परेशान करने वाली फसल हो चुकी है। वह कहते हैं कि शायद ही वे अगली बार अपने खेतों में प्याज की फसल लगाएंगे।