MP Board Paper Leak: क़रीब 10 ऐसे टेलीग्राम समूह हैं जिनमें एमपी बोर्ड 10वीं व 12वीं की परीक्षा के प्रश्नपत्र प्रसारित किए गए। ग्रुप में लोगों को जोड़ने के एवज में उनसे पैसे वसूले गए।
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मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया पर लीक हुए एमपी बोर्ड परीक्षा प्रश्नपत्र के बाद राज्य की शिक्षा प्रणाली (Madhya Pradesh Education System) एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य में कक्षा 10वीं और 12वीं के लीक हुए प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जो यहां बीते समय में हुए परीक्षा घोटालों के ज़ख्म को ताजा कर रहे हैं।
इस पेपर लीक (MP Paper Leak Scam) की पड़ताल के दौरान Mojo Story ने पाया कि 12वीं कक्षा का जीव विज्ञान का पेपर परीक्षा शुरू होने से पहले सोशल मीडिया पर लीक हो गया था। पेपर सुबह 8:43 बजे ‘MP Board 10th or 12th Leaked Paper’ नामक टेलीग्राम ग्रुप में साझा किया गया था, जबकि परीक्षा उसके ठीक बाद 9:00 बजे शुरू होने वाली थी।
यह पेपर लीक 1 मार्च से सोशल मीडिया पर अंग्रेजी, हिंदी, गणित और संस्कृत परीक्षाओं के बोर्ड परीक्षाओं के लिए लीक हुए प्रश्नपत्रों की निरंतरता को चिह्नित करता है। विज्ञान का पेपर सबसे हालिया पेपर लीक था, जो 20 मार्च को सुबह 9 बजे से पहले टेलीग्राम समूहों पर सामने आया।
स्कैमर्स छात्रों से आग्रह कर रहे थे कि वे समूह में और सदस्य जोड़ें और उन्हें बताएं कि केवल सीमित संख्या में, भुगतान करने वाले छात्रों को ही ये प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बाद उन्होंने छात्रों को एक निजी समूह में शामिल होने और अपने भुगतान का एक स्क्रीनशॉट भेजने का निर्देश दिया। पेमेंट की एक बार पुष्टि हो जाने के बाद, छात्रों को एक अन्य निजी समूह से प्रश्नपत्र मुहैया कराए गए जो एक बॉट द्वारा संचालित चैनल था।
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री, इंदर सिंह परमार ने 17 मार्च को स्वीकार किया कि परीक्षा से पहले लीक हुए पेपर प्रसारित किए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें एक लीक पेपर के वायरल होने की ख़बर मिली थी, जिसकी बाद में सही होने की पुष्टि हुई। उन्होंने कहा, प्रारंभिक जांच में पता चला कि पुलिस थाने से स्कूल ले जाते समय पेपर लीक हुआ है।
परमार ने पुष्टि की कि पेपर लीक होने वाले चार केंद्रों की पहचान और मामले में नौ लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है। हालांकि, 20 मार्च को परमार अपने बयान से पीछे हट गए और कहा कि परीक्षा से पहले कोई पेपर लीक नहीं हुआ था। उन्होंने आगे कहा, ”कांग्रेस पार्टी लोगों को गुमराह कर रही है ताकि वे सरकार को दोष दे सकें।”
जबकि 17 मार्च को, इंदर सिंह परमार ने कहा था कि वह पेपर लीक को एक गंभीर अपराध मानते हैं। तब उनके मुताबिक़ परीक्षा से पांच मिनट पहले परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होना एक आपराधिक घटना थी। वहीं, 20 मार्च को उन्होंने अपने पिछले बयान से पलटते हुए कहा कि अगर किसी परीक्षा केंद्र के स्ट्रांग रूम से कोई पेपर सर्कुलेट किया गया तो वह इसे पेपर लीक नहीं बल्कि गोपनीयता भंग मानेंगे।
डीसीपी अमित कुमार के अनुसार, धोखाधड़ी में शामिल घोटालेबाज “MP Board 10th and 12th Leaked Paper” नामक टेलीग्राम समूह में फर्जी पेपर बांट रहे थे, जिसमें 36,000 छात्रों की सदस्यता थी। जालसाज छात्रों को पिछले या मॉडल प्रश्नपत्र मुहैया करा रहे थे, जो भ्रामक थे। डीसीपी ने कहा कि “कभी-कभी मॉडल प्रश्नपत्र का 50-60 प्रतिशत सवाल आने वाले प्रश्नपत्र से मेल खा जाता है।
पुलिस जांच के अनुसार, घोटाले में मध्य प्रदेश शिक्षा मंडल के लोगो (Logo) के साथ टेलीग्राम समूह बनाना और लीक हुए परीक्षा पत्रों के बदले छात्रों को पैसे भेजने का लालच देना शामिल था। इस दौरान जालसाजों ने 600 से अधिक छात्रों से करीब तीन लाख रुपये की उगाही की।
जानकारी के मुताबिक, ऐसे 10 से अधिक टेलीग्राम समूह छात्रों से पैसे वसूलने में शामिल पाए गए। इन पर आईटी अधिनियम की धारा 419, 420, 66सी और 66डी के तहत मामले दर्ज किए गए।
अमित कुमार ने कहा, “मामले में जांच के लिए पुलिस की चार टीमों का गठन हुआ है और उन्हें मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेजा गया है। अपराधियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है, और हमने टेलीग्राम कंपनी को इन समूहों को बंद करने का निर्देश दिया है।”
अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, तीसरे आरोपी कमलेश को 20 मार्च को खंडवा में गिरफ़्तार किया गया था। खंडवा के एक प्राइवेट कॉलेज का छात्र कमलेश और उसके दो दोस्त जल्दी पैसे कमाने के लिए टेलीग्राम पर एमपी बोर्ड परीक्षा के पेपर बांट रहे थे। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने 20 मार्च को मुरैना जिले के दो शिक्षकों को कक्षा 10वीं के विज्ञान का पेपर लीक करने में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिया था। इन शिक्षकों ने परीक्षा हॉल में ड्यूटी के दौरान प्रश्नपत्र की तस्वीरें लीं और उन्हें अपने रिश्तेदारों के साथ साझा किया। ग़ौरतलब है कि परीक्षा से कुछ देर पहले ही विज्ञान का पेपर सोशल मीडिया पर सामने आया।
बता दें कि भानपुर के विद्यासागर स्कूल सेंटर में 18 मार्च को छापेमारी के दौरान एमपी बोर्ड के 12वीं कक्षा के केमिस्ट्री और बिजनेस एनालिसिस का पेपर लीक करने के आरोप में चार शिक्षकों को गिरफ़्तार किया गया था।
जालसाजों द्वारा ठगी और रंगदारी रोकने के पुलिस के तमाम प्रयासों के बावज़ूद उनकी गतिविधियां थमी नहीं हैं। 18 मार्च को ‘Bewafa’ नाम से एक नया ग्रुप बनाया गया, जिसमें दावा किया गया कि 12वीं क्लास के गणित और अकाउंटिंग के पेपर रात 12 बजे के बाद उपलब्ध कराए जाएंगे।
अपने पिन किए गए मैसेज में वे प्रश्नपत्र तक पहुंच के लिए प्रति छात्र 389 रुपये के हिसाब से भुगतान मांग रहे थे। 33,000 सदस्यों के साथ “Jeet Classes India” नामक एक अन्य टेलीग्राम समूह ने 20 मार्च की सुबह एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि पेपर ऑनलाइन लीक हो गया है और वे इसे अपने छात्रों को प्रदान करेंगे।
मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि यहां शिक्षा माफियाओं ने कब्ज़ा कर रखा है। उन्होंने विशेष रूप से वर्तमान शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनके पास इस पद के लिए आवश्यक योग्यता और क्षमताओं की कमी है। सिंह ने शिक्षा विभाग को घोटालों और भ्रष्टाचार से ग्रस्त बताते हुए मंत्री को उनके पद से तुरंत हटाए जाने की मांग की।
“शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। एक-एक कर शिक्षा विभाग के घोटाले सामने आ रहे हैं।” गोविंद सिंह ने कहा।
मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले का पर्दाफाश करने वाले व्हिसिल ब्लोअर अजय दुबे ने कहा कि राज्य के स्कूलों में प्रश्नपत्र लीक करने वाले लोग इस समय बेख़ौफ़ काम कर रहे हैं। इसका कारण है कि पिछले परीक्षाओं जैसे व्यापम में हुए घोटालों में शामिल एमपीपीएससी (MPPSC), एमपीऑनलाइन (MPonline) और उच्च पदस्थ मंत्रालय के अधिकारीयों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
व्यापम घोटाला भारतीय इतिहास के सबसे बड़े शैक्षिक धोखाधड़ी में से एक था। इसमें मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड (MPPEB) द्वारा संचालित मेडिकल स्कूलों, इंजीनियरिंग कॉलेजों और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षाओं में हेरफेर शामिल था। इसके परिणामस्वरूप इसमें शामिल उच्च पदस्थ अधिकारियों और राजनेताओं सहित सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था।
पिछले साल, मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (MPTET) का पेपर लीक हो गया था, जिसमें करीब 5,00,000 उम्मीदवार प्रभावित हुए थे। जबकि, इसी साल फरवरी में National Health Mission (NHM) पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई थी, जिससे 11,000 से अधिक आवेदक प्रभावित हुए थे।