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MP में सामूहिक विवाह से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट पर बवाल, कन्यादान योजना के लिए वर्जिनिटी जांचने का आरोप

मध्य प्रदेश में सामूहिक विवाह कार्यक्रम में गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test) किए जाने पर विवाद छिड़ गया है। कन्यादान योजना का लाभार्थी बनने के लिए गलत ढंग से वर्जिनिटी जांचने (Virginity Test) का लग रहा आरोप।


By Anil Tiwari, 27 Apr 2023


डिंडौरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम।

मध्य प्रदेश के डिंडौरी (Dindori) जिले के गढ़सराय में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना (Mukhyamantri Kanyadan Yojna) के तहत आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस कार्यक्रम में 219 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे थे, लेकिन कुछ महिला प्रतिभागियों को शादी से पहले गर्भावस्था परीक्षण के अधीन किए जाने और उन्हें भाग न लेने देने का मामला सामने आने के बाद यह जांच के दायरे में आ गया है। इस घटना ने योजना के पीछे सरकार की मंशा और ऐसे आयोजनों में महिलाओं के साथ होने वाले बर्ताव पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इसका विरोध करते हुए महिला कांग्रेस ने बुधवार को भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर एक प्रदर्शन किया, जहाँ उन्होंने शिवराज सिंह चौहान का पुतला फूंका।

भोपाल में महिला कांग्रेस प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए।

सामूहिक विवाह में भाग लेने वाली एक महिला ने मोजो स्टोरी (Mojo Story) को बताया कि जब अधिकारियों ने उसे बताया कि गर्भावस्था परीक्षण अनिवार्य है तो उन्हें जटिलता महसूस हुई। उन्होंने कहा कि शादी से पहले इस तरह के परीक्षण करना समुदाय के सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के खिलाफ है। एक अन्य महिला ने दावा किया कि उन्हें शुरू में गर्भावस्था परीक्षण के बारे में सूचित नहीं किया गया था और अचानक बताया गया कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वह अनिवार्य है।

डिंडौरी के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने इस घटना के लिए प्रशासन की निंदा की और कहा कि लड़कियों का कौमार्य परीक्षण (Virginity Test) करना अस्वीकार्य है। उन्होंने आगे कहा, “मध्य प्रदेश सरकार शादी के लिए अपना मानदंड स्पष्ट करे और यदि वर्जिनिटी टेस्ट एक शर्त है, तो इस तरह के दिशानिर्देश जनता को उपलब्ध कराए जाने चाहिए।”

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्विटर पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मध्य प्रदेश की बेटियों के प्रति दिखाए गए घोर अपमान के बारे में जवाब मांगा। उन्होंने लिखा, “डिंडौरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने का समाचार सामने आया है। मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह समाचार सत्य है तो मध्यप्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? क्या मुख्यमंत्री की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है?”

कमलनाथ ने आगे कहा, “शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पहले ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में देश में अव्वल है। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराएं और दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दें। यह मामला सिर्फ प्रेगनेंसी टेस्ट का नहीं है, बल्कि समस्त स्त्री जाति के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का भी है।”

वहीं, डिंडौरी के भाजपा जिलाध्यक्ष अवधराज बिलैया ने सरकार के कार्यों का समर्थन किया। उनका मानना है कि पुनर्विवाह को हतोत्साहित करने वाली नीति के तहत दुल्हनों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूर्व में कई विवाहित जोड़ों ने भी इस योजना का लाभ उठाने के लिए नामांकन कराया था। हालाँकि, बिलैया ने स्वीकार किया कि वर्जिनिटी टेस्ट के परिणामों के कारण कुछ लड़कियां कन्यादान योजना से बाहर हो गई हैं। भाजपा नेता ने आगे कहा कि विपक्ष इस तरह के मुद्दे उठाकर ओछी राजनीति कर रहा है।

महिलाओं की निजता पर हमला

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अली ज़ैदी के अनुसार, गदासराय में सामूहिक विवाह कार्यक्रम में महिला प्रतिभागियों का गर्भावस्था परीक्षण उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन और उनकी निजता पर हमला है। उनका मानना है कि यह एक पितृसत्तात्मक समाज का संकेत है, जहां सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए महिलाओं को गलत तरीके से इस तरह के परीक्षणों के अधीन किया जाता है। जैदी इसे एक गंभीर मुद्दा मानते हैं, जो गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने इस मामले को राष्ट्रीय महिला आयोग और उच्च न्यायालय में ले जाने की बात कही।

जबलपुर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सम्यक जैन के अनुसार, सरकार के पास किसी भी परिस्थिति में महिलाओं का प्रेगनेंसी टेस्ट करने का अधिकार नहीं है। जैन का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई न केवल महिलाओं के लिए अपमानजनक होंगी, बल्कि महिलाओं की गरिमा और भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों को भी कमजोर करेंगी।

जैन महिलाओं और उनके परिवारों की गोपनीयता और प्रतिष्ठा को लेकर भी चिंता जताते हैं। वह आशंका जाहिर करते हुए कहते हैं, ऐसा करते हुए यदि पात्रता सत्यापनकर्ता (Verifiers) किसी महिला की वर्जिनिटी के बारे में जानकारी का खुलासा करते हैं: तो यह उस महिला के अधिकारों का उल्लंघन होगा।

उन्होंने आगे कहा, “सरकार जनता के लाभ के लिए बनाई गई आकर्षक योजनाओं की पेशकश के बदले में अनुचित अनुरोधों की मांग नहीं कर सकती है।”

जैन इस बात पर जोर देते हैं कि सामूहिक विवाह योजनाओं के मामलों में गर्भावस्था संबंधी परीक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। वह कहते हैं कि ऐसे प्रावधानों को शामिल करने का कोई भी प्रयास मनमाना होगा और कार्यक्रम के दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं होगा।

किसके आदेश पर कराया गया प्रेगनेंसी टेस्ट

डिंडौरी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमेश मरावी ने कहा कि वे केवल उच्च अधिकारियों से प्राप्त निर्देशों का पालन कर रहे थे। वहीं, जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) विकास मिश्रा ने दावा किया कि क्षेत्र सिकल एनीमिया (Sickle Anaemia) से प्रभावित है। ऐसे में दिशानिर्देशों के अनुसार लड़कियों की फिटनेस का आकलन करने के लिए चिकित्सा परीक्षण किया गया था।

विकास मिश्रा ने बताया, परीक्षण के दौरान कुछ लड़कियों ने खुलासा किया कि उनका मासिक धर्म नहीं आया था। इसके बाद डॉक्टर ने उनके पेशाब की जांच (Urine Test) की, जिसमें छह लड़कियों के गर्भवती होने का पता चला। एहतियात के तौर पर उन लड़कियों को सूची से हटा दिया गया।

पहले भी सामूहिक विवाहों में किए गए प्रेगनेंसी टेस्ट

मध्य प्रदेश में प्रशासन ने पूर्व में भी कई बार दुल्हनों का गर्भावस्था परीक्षण किया है। ऐसा ही एक मामला बैतूल जिले में जून 2014 में राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान हुआ। उस समय शादी करने वाले 400 जोड़ों में से 12 लड़कियों के गर्भवती होने का पता चला था और उन्हें कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई। एक अन्य घटना 2009 में हुई, जब शहडोल जिला प्रशासन ने 152 ऐसी लड़कियों का जो दुल्हन बनने वाली थीं; वर्जिनिटी और प्रेगनेंसी टेस्ट किया, जिनमें से 14 गर्भवती पाई गईं।

बता दें कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना है, जो इसके लाभार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत, पात्र कन्याओं को कुल 55,000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है, जिसमें से 49,000 रुपये सीधे दुल्हन के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। शेष 6,000 रुपये की राशि घरेलू सामान खरीदने के लिए सहायता के रूप में दी जाती है।