आतंकी हमलों (Terror Attacks) से लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार राजौरी (Rajouri) में ग्राम रक्षा समितियों (VDCs) को पुनर्जीवित करने का काम कर रही है।
साल 2023 के पहले दिन शाम को जम्मू (Jammu) के राजौरी ज़िले के डाँगरी गाँव में एक विभत्स आतंकी हमला (Rajouri Terror Attack) हुआ। आतंकियों ने तीन मकानों (मकानों के बीच लगभग 50 मीटर की दूरी थी) पर गोलीबारी की, जिसमें पाँच लोगों की मौत और पाँच घायल हो गए।
हमले में सतीश कुमार (45 वर्ष), दीपक कुमार (23 वर्ष), प्रीतम लाल (57 वर्ष), शिशुपाल (32 वर्ष) और प्रिंस शर्मा (23 वर्ष) की मौत हो गई, जबकि पवन कुमार (38 वर्ष), रोहित पंडित (27 वर्ष), सरोज बाला (35 वर्ष), रिदम शर्मा (17 वर्ष) और पवन कुमार (32 वर्ष) जख्मी हो गए।
अभी गाँव इस हमले से उबरा भी नहीं था कि अगले ही दिन सोमवार साढ़े नौ बजे सुबह दीपक शर्मा (जिनकी मौत एक दिन पहले आतंकी हमले में हुई थी) के घर आइईडी विस्फोट (IED Blast) हुआ, जिसमें दो नाबालिग बच्चों की मौत और दस अन्य घायल हो गए।
पुलिस के अनुसार, “आतंकियों ने आइईडी को जानबूझकर ऐसे समय के लिए लगाया था जब गांव के लोग शोक के लिए इकट्ठा हों, ताकि अधिक नुकसान पहुंचाया जा सके।” बाद में एक दूसरे आइईडी को पुलिस की बम निरोधक दस्ते ने डिफ्यूज किया। अधिकारी के मुताबिक, “वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सुरक्षाबलों को नुकसान पहुँचाने के लिए भी आतंकियों ने आइईडी प्लांट किया था ।”
गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 ख़त्म करने का तर्क यह भी दिया गया था कि आतंकवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन बीते दिनों के घटनाचक्र पर गौर करें तो पता चलता है कि अब तो कश्मीर के अलावा जम्मू में भी आतंकी वारदातें बढ़ गई हैं।
जम्मू जोन के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मुकेश सिंह ने बताया कि दो आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त रूप से कार्रवाई चल रही है, ताकि दोनों आतंकियों को जल्द से जल्द निष्क्रिय किया जा सके।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, “एक जनवरी की शाम करीब सात बजे दो संदिग्ध आतंकवादियों ने गांव के करीब आकर तीनों मकानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की और फरार हो गए।”
स्थानीय पुलिस ने बताया कि गोलीबारी दस मिनट के भीतर बंद हो गई। पहले आतंकियों ने ऊपरी डाँगरी में एक मकान पर गोलियां चलाईं और फिर लगभग 25 मीटर दूर हटने के बाद वहां कई अन्य लोगों पर गोलियां चलाईं। उन्होंने गांव से भागने से पहले दो अन्य मकानों पर भी गोलियां बरसाईं।
घटना के विरोध में लोगों ने वहां पूर्ण बंद का आह्वान किया। बंद को श्री सनातन धर्म सभा, विश्व हिंदू परिषद (VHP), भाजपा (BJP) और व्यापारी संघ का समर्थन प्राप्त रहा।
सतर्कता समूहों के नाम पर ‘इख़्वानी’ की वापसी?
आतंकी हमलों से लोगों की ‘सुरक्षा’ के लिए सरकार राजौरी में ग्राम रक्षा समितियों (VDCs) को पुनर्जीवित करने का काम कर रही है। करीब तीन दशक पहले (1995 में) इन समीतियों का निर्माण किया गया था ताकि वे पाकिस्तानी घुसपैठियों का मुकाबला कर सकें।
दूसरा कारण था कि उन्हीं दिनों कश्मीर घाटी से अल्पसंख्यक हिंदुओं का पलायन हुआ था और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी इन समितियों का योगदान था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री चमनलाल गुप्ता ने वर्ष 2001 में एक साक्षात्कार में कहा था कि ग्राम रक्षा समितियों की बदौलत अल्पसंख्यक हिंदुओं का पलायन रोका जा सका।
उस समय सेवानिवृत सुरक्षाकर्मियों को हथियार दिए गए थे। हर समिति में दस से पंद्रह सदस्य हुआ करते थे और एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) उसकी अगुवाई किया करता था। नयी व्यवस्था में इन्हीं समीतियों का नाम बदलकर ग्राम रक्षा समूह (विलेज डिफेंस ग्रुप) किया जा रहा है। अकेले राजौरी में 5000 सशस्त्र सदस्य हैं। सरकार उन्हें .303 राइफल देने की योजना बना रही है।
मालूम हो कि इससे मिलती-जुलती व्यवस्था पहले कश्मीर में की जा चुकी है। नब्बे के दौर में जब अलगाववादी आंदोलन अपने चरम पर था, तब सुरक्षाबलों की दबिश के कारण कई उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। उन्हीं दिनों सरकार को एहसास हुआ कि अगर उग्रवाद को खत्म करना है तो उन्हें भी उग्रवादियों का ही सहारा लेना होगा। सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को हथियार मुहैया करवा दिया।
उस वक्त इख़्वानी सक्रिय लड़ाके बनकर तो जरूर उभरे, लेकिन कुछ ही वर्षों में वे कई ग़लत कामों और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने लगे। निजी दुश्मनी और आपसी खुन्नस में इख़्वानों ने निर्दोष कश्मीरियों को फँसाना शुरू कर दिया।
यही वजह है कि प्रशासन को आम लोगों को सुरक्षा के नाम पर हथियार मुहैया करवाने को लेकर कुछ संशय भी है। एक आंकड़े के मुताबिक पुराने समीति सदस्यों के खिलाफ राजौरी और आसपास के जिलों में 200 से अधिक प्राथमिकी दर्ज हैं। इनमें ज्यादातर मामले हत्या, बलात्कार, दंगे और ड्रग्स के हैं।
जानकारी के अनुसार, राजौरी के पंचायत केंद्रों पर पुलिस की ओर से गांव के युवा हथियार लेने के लिए पंजीकृत किए जा रहे हैं। पुलिस प्रशिक्षण की जरूरतों पर भी ध्यान दे रही है। ज्यादातर युवाओं को वही हथियार दिए जा रहे हैं जो मूल रूप से उनके पिता या अन्य रिश्तेदारों को बहुत पहले दिए गए थे।
डांगरी के एक युवा ने हमारे स्थानीय साथी को बताया कि वे हथियार पाने को लेकर उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब वे आतंकवादियों का मुकाबला करने में सक्षम होंगे।
कई उम्रदराज़ लोग भी ग्राम रक्षा समूह के सदस्य बनने के लिए उत्सुक हैं। एक 60 वर्षीय व्यक्ति ने कहा, “मेरा घर जंगलों के पास खुले इलाके में है। हम हर वक्त पुलिस के भरोसे नहीं रह सकते। अपने पास हथियार होने से कम से कम मौके पर आतंकियों से लड़ सकते हैं।”
जिला पुलिस प्रमुख मोहम्मद असलम ने स्थानीय मीडिया को कहा कि पुलिस ग्राम रक्षा समूह के सदस्यों को नए हथियार और गोला-बारूद दे रही है। सदस्यों के लिए फायरिंग के अभ्यास सत्र आयोजित किए जाएंगे।”
सरकार ने पिछले साल इन सदस्यों को 4,000 रुपये प्रति माह का मानदेय देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है। हथियारों के गैर-जरूरी इस्तेमाल के सवाल पर स्थानीय पंचायत का कहना है कि सदस्यों की पृष्ठभूमि जाँच की जाएगी, “उन्हें हथियार नहीं दिए जाएंगें जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं और उन्हें भी नहीं जो शराबी हैं या जिन्हें उच्च रक्तचाप है।”
हमले की हो रही निंदा
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राणा ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि ये पाकिस्तानी आतंकवादियों की कायराना हरकत है। उन्होंने कहा कि सरकार आंतकवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
जम्मू और कश्मीर प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि राजौरी का आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्थिति के बारे में सरकार और सुरक्षा बलों के ‘नॉर्मेलसी’ के दावों की पोल खोलती है। उन्होंने कहा, “सरकार पहले कश्मीर में और अब जम्मू में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मुहैया करवाने में नाकाम रही है।”
नेशनल कान्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, “मैं राजौरी के जघन्य हमले की निंदा करता हूँ और मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि हमले में घायल हुए लोग जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएँगे।”
Deeply shocked as more details emerge of this targeted attack in Rajouri district of Jammu. I unequivocally condemn this heinous attack & send my condolences to the families of the deceased. I hope those injured in this attack will make a swift & complete recovery. #RajouriAttack https://t.co/xqFR5tLg5S
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 2, 2023
वहीं पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा और मीडिया की आलोचना करते हुए कहा, “भाजपा के शासन में होने और उग्रवाद को खत्म करने के उनके झूठे दावों के बावजूद हिंसा बेरोकटोक जारी है। अगर जम्मू और कश्मीर की अपनी निर्वाचित सरकार होती, तो वही मीडिया अब तक उसकी (सरकार की) आलोचना कर रहा होता।”
Condemn this cowardly act & condolences to their families. Despite being under BJP rule & its bogus claims of ending militancy, violence continues unabated. Had J&K had its own elected government, the same media would have hauled them over the coals. https://t.co/0bCgwHTGpc
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) January 2, 2023
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, “मैं राजौरी में किए गए कायराना हमले की कड़ी निंदा करता हूं। मैं लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस घृणित कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।”
उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा, “सरकार ने हमले में मारे गए नागरिकों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। गंभीर रूप से घायलों को भी सरकार एक लाख रुपये मुआवजा देगी।”
I strongly condemn the cowardly terror attack in Rajouri. I assure the people that those behind this despicable attack will not go unpunished. My thoughts and prayers are with the bereaved families.
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) January 2, 2023
An ex-gratia of Rs. 10 lakh and a Govt job would be given to the next of kin of each of those civilians martyred in dastardly attack. Seriously injured would be given Rs.1 lakh. Officials have been directed to ensure best treatment to injured.
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) January 2, 2023