Adani मामले को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी, Parliament की कार्यवाही 7 फरवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित।
विपक्षी सांसद संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करते हुए।
हिंडरबर्ग रिपोर्ट (Hinderburg Report) से अदानी समूह (Adani Group) को लेकर हुए गंभीर खुलासों के बाद से विरोध के स्वर कम होने का नाम नहीं ले रहे। संसद (Parliament) में विपक्षी पार्टियां सदन से लगातार मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के गठन की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि इस मामले की जांच जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की निगरानी में कराई जाए।
उधर, सत्ता पक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की मांग कर रहा है। ऐसे में हो-हल्ला के बीच एक फरवरी को देश का आम बजट पेश होने के बाद से अब तक संसद में एक भी दिन चर्चा नहीं हो पाई है। आज भी हंगामे के बाद लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही को पहले दोपहर दो बजे तक और फिर दोनों ही सदनों को कल 7 फरवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इस बीच विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने अदानी स्टॉक क्रैश व अन्य मुद्दों को लेकर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विपक्षी नेताओं ने अदानी सरकार हाय हाय के नारे लगाए। उन्होंने संयुक्त जेपीसी गठित करने या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच कराए जाने की मांग की। प्रदर्शन कर रहे सांसदों ने एक बड़ा बैनर ले रखा था, जिस पर लिखा था ‘अदानी स्कैन्डल की जेपीसी जांच या उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच हो।’
पिछले महीने आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदानी समूह को लेकर किए गए खुलासे के बाद से ही देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यह रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी। इसके बाद से ही अदानी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हुआ था। ऐसा माना जा रहा है कि इसका असर एलआईसी (LIC), एसबीआई (SBI) पर पड़ेगा, क्योंकि अदानी समूह को हो रहे नुक़सान का असर उनके निवेश पर भी होगा। इसका सीधा असर उन आम लोगों की जेब पर पड़ेगा जो एलआईसी और एसबीआई के ग्राहक हैं।
मालूम हो कि अदानी समूह के शेयरों में आ रही बड़ी गिरावट के बीच दो फरवरी को उद्योगपति गौतम अदानी ने एफपीओ वापस लेने की घोषणा की थी। उन्होंने इसे बाज़ार की स्थिति को देखते हुए निवेशकों के हित में लिया गया फैसला बताया था। इसके बाद से ही विपक्ष अदानी मामले में केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल खड़ा कर रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेता अदानी मामले की जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग पर अड़ गए हैं।
हालांकि इस बीच एक टीवी चैनल से बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अदानी समूह के शेयरों में आई भारी गिरावट को एक कंपनी तक केंद्रित मामला बताया। सीतारमण ने कहा कि बैंक एवं बीमा कंपनियों ने किसी एक कंपनी में हद से अधिक निवेश नहीं किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक एवं बीमा कंपनिया खुद ही आगे आकर अदानी समूह को लेकर अपनी स्थिति साफ कर रही हैं।
अगर विपक्षी पार्टियों की मांग को सुनते हुए केंद्र सरकार संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन करती है, तो अदानी मामले में समिति संबंधित शख्स, संस्था या अन्य स्टेक होल्डर्स को बुलाकर पूछताछ करेगी। इस समिति में कई राजनीतिक दलों के सांसद होते हैं, ऐसे में जांच निष्पक्ष होने की संभावना अधिक मानी जाती है। बता दें कि देश में अब तक छह बार किसी घोटाले की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया गया है। जेपीसी का गठन संसद के समक्ष प्रस्तुत किसी विशेष विधेयक की जांच करने के लिए या किसी सरकारी गतिविधि में वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की जांच के उद्देश्य से किया जाता है।