बीते दिनों Rajpath का नाम Kartavya Path किए जाने के बाद यहां पहली बार आयोजित हुआ गणतंत्र दिवस। इस वर्ष यहां समाज के सभी वर्गों के लोगों जैसे; Central Vista, कर्तव्य पथ के निर्माण में शामिल श्रमयोगियों को कार्यक्रम में प्रमुखता से जगह दी गई।
भारत के 74वें गणतंत्र दिवस (Republic Day 2023) को राष्ट्रीय राजधानी में पुनर्निर्मित कर्तव्य पथ (Kartavya Path) पर मनाया गया। बीते दिनों ही ब्रिटिश काल से ‘राजपथ’ (Rajpath) के नाम से प्रचलित सड़क का नाम बदल कर कर्तव्य पथ किया गया। उसके बाद यह पहला मौक़ा है जब यहां गणतंत्र दिवस का आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पिछले साल कर्तव्य पथ का अनावरण किया था। कर्तव्य पथ से शुरू हुए गणतंत्र दिवस समारोह का नेतृत्व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President of India) ने किया। इस अवसर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
कर्तव्य पथ परेड के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी गई, जिसमें ब्रिटिश निर्मित 25-पाउंडर बंदूकों की जगह 105 मिमी भारतीय फील्ड बंदूकें शामिल रहीं। इस दौरान मिस्र के राष्ट्रपति के नेतृत्व में कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए मिस्र के सशस्त्र बलों का संयुक्त बैंड और मार्चिंग दल शामिल हुआ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर 74वें गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर वीरों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर समाज के सभी वर्गों के लोगों जैसे; सेंट्रल विस्टा, कर्तव्य पथ के निर्माण में शामिल श्रमयोगियों को कार्यक्रम में शामिल किया गया। इन लोगों को कर्तव्य पथ पर प्रमुखता से बैठाया गया।
मालूम हो कि इस साल गणतंत्र दिवस की शुरुआत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी से सप्ताह भर चलने वाले समारोह के रूप में शुरू हुई। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए 23 और 24 जनवरी को नई दिल्ली में एक तरह का सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य महोत्सव ‘आदि शौर्य: पर्व पराक्रम का’ आयोजित किया गया था। इन कार्यक्रमों का समापन 30 जनवरी को होगा, जिसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
महिला सशस्त्र बल भी परेड में शामिल
74वें गणतंत्र दिवस पर पहली बार सीमा सुरक्षाबल की ऊंट टुकड़ी के हिस्से के रूप में महिला दस्ते ने परेड में हिस्सा लिया। ये महिलाएं सशस्त्र बलों के 16वें मार्च करने वाले दल का हिस्सा बनीं। इसे महिला सशक्तिकरण के उदाहरण के रूप में भी देखा जा रहा है।
झांकियों में दिखी विविधता की झलक
गणतंत्र दिवस की परेड में देश के अलग-अलग राज्यों की झांकियां पेश की जा रही है। परेड में इस बार कुल 23 झांकियां शामिल हुईं। इनमें 17 झांकियां विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से रहीं, जबकि छह विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों से रहीं। अधिकतर राज्यों की झांकियों की थीम नारी शक्ति रखी गई।
असम की झांकी का थीम रहा वीरता और अध्यात्म। इस झांकी में पारंपरिक परिधान पहने पुरुष और महिला असम का लोक नृत्य करते दिखे।
आंध्र प्रदेश की झांकी का थीम रहा; प्रभला तीर्थम। यह मकर संक्रांति के मौक़े पर मनाए जाने वाला ख़ास त्यौहार है।
लद्दाख की झांकी का थीम रहा कंपोज़िट कल्चर यानी समरसता और प्रकृति के प्रति प्रेम।
गुजरात की झांकी में राज्य के क्लीन एनर्जी के लिए किए गए प्रयासों की झलक दिखाई गई।
पश्चिम बंगाल की झांकी में वहां के प्रसिद्ध दुर्गा पूजा की झलक दिखाई गई।
त्रिपुरा की झांकी का थीम रहा ‘महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ पर्यटन और जैविक खेती के ज़रिए आजीविका के साधन’।
जम्मू-कश्मीर की झांकी का थीम रहा; नया जम्मू-कश्मीर। झांकी में जम्मू-कश्मीर की धरती से शुरू हुई बैंगनी क्रांति की झलक दिखाई गई।
उत्तराखंड की झांकी मेंजिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और अलमोड़ा के जागेश्वर धाम की झलक देखने को मिली।
इसी प्रकार हर राज्य की झांकी में वहां की संस्कृति का प्रदर्शन किया गया है। वहीं, परेड में गृह मंत्रालय (MHA) की झांकी ने ‘नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB): Resolve @75-Drug Free India’ थीम को प्रदर्शित किया, जो भारत को नशा मुक्त बनाने के संकल्प को पेश करता है।
106 हस्तियों को पद्य पुरस्कार की घोषणा, इसमें 19 महिलाएं शामिल
भारत सरकार ने बुधवार को 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इस वर्ष के पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2023) की घोषणा की। 106 हस्तियों के लिए इस पुरस्कार की घोषणा की गई है, जिसमें 6 लोगों को पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 लोगों को पद्मश्री दिए जाएंगे। पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं शामिल हैं।
ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) के जनक दिलीप महालनाबिस (Dilip Mahalnabis) को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, पश्चिम बंगाल के 87 वर्षीय डॉक्टर महालनाबिस ने ओआरएस के व्यापक इस्तेमाल का बीड़ा उठाया। अनुमान है कि उनकी इस पहल ने वैश्विक स्तर पर 5 करोड़ से अधिक लोगों की जान बचाई है। महालनाबिस का पिछले अक्टूबर में कोलकाता में निधन हो गया था।
इसके अलावा मुलायम सिंह यादव और बालकृष्ण दोशी को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा। वहीं, तबला वादक जाकिर हुसैन, एसएम कृष्णा और श्रीनिवास वर्धन को पद्म विभूषण दिया जाएगा। और, एसएल भयरप्पा, कुमार मंगलम बिड़ला, दीपक धर, वाणी जयराम, स्वामी चिन्ना जीयर, सुमन कल्याणपुर, कपिल कपूर, सुधा मूर्ति एवं कमलेश डी पटेल को पद्म भूषण से सम्मानित किया जाएगा।
इन हस्तियों को मिलेगा पद्मश्री
डॉ सुकामा आचार्य, जोधैयाबाई बैगा, प्रेमजित बैरिया, ऊषा बरले, मुनीश्वर चंद डावर, हेमंत चौहान, भानुभाई चितारा, हेमोपोवा चुतिया, नरेंद्र चंद्र देबबर्मा (मरणोपरांत), सुभद्रा देवी, खादर वल्ली दुदेकुला, हेम चंद्र गोस्वामी, प्रीतिकाना गोस्वामी, राधा चरण गुप्ता, मोदाडुगु विजय गुप्ता, अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन, दिलशाद हुसैन, भीखू रामजी इदाते, सीआई इसाक, रत्तन सिंह जग्गी, बिक्रम बहादुर जमातिया, रामकुईवांग्बे जेने, राकेश राधेश्याम झुनझुनवाला, रतन चंद्र कर, महिपत कवि, अरीज खमबत्ता, परशुराम कोमाजी खुने, गणेश नागप्पा कृष्णराजानागरा, मगुनी चरण कुमार, आनंद कुमार, अरविंद कुमार. दोमर सिंह कुंवर, राइसिंगबोर कुरकलंग, हीराबाई लोबी, मूलचंद लोढ़ा, रानी मछैया, अजय कुमार मांडवी, प्रभाकर भानुदास मांडे और गजानन जगन्नाथ माने को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है।
गौरतलब है कि पद्म पुरस्कार यानी पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री; देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं। 1954 में स्थापित, इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। ये पुरस्कार कला, साहित्य और शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान और इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामलों, सिविल सेवा, व्यापार व उद्योग जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं।