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Jagarnath Mahto: ज़मीनी नेता के रोचक राजनीतिक सफ़र का अंत, शिक्षा की इच्छा रह गई अधूरी

14 मार्च को अचानक से तबियत बिगड़ने पर Jharkhand के शिक्षा मंत्री Jagarnath Mahto को रांची के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्वास्थ्य में कोई सुधार न होने पर उन्हें अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई भेजा गया, जहां इलाज के दौरान गुरुवार को उनका देहांत हो गया।


By Mohammad Sartaj Alam , 6 Apr 2023


झारखंड (Jharkhand) के शिक्षा मंत्री Jagarnath Mahto का गुरुवार को सुबह निधन हो गया। उन्‍होंने चेन्‍नई स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान अपनी अंतिम सांस ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर यह जानकारी साझा की।

जगरनाथ महतो का स्वास्थ्य लंबे समय से ख़राब चल रहा था। 14 मार्च की रात जब अचानक से उनकी तबियत बिगड़ी, तो परिवार ने उन्हें रांची स्थित पारस अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उनकी स्वास्थ्य हालत को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उन्हें एयर एम्‍बुलेंस के ज़रिए चेन्‍नई के अपोलो अस्‍पताल ले जाया गया।

मालूम हो कि वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण जगरनाथ महतो की तबियत काफ़ी बिगड़ गई थी, जिसके बाद उनका लंग्स ट्रांसप्लांट हुआ था। हालांकि उसके बाद वे सामान्य रूप से कामकाज कर रहे थे।

साल 2020 में 28 सितंबर को शिक्षा मंत्री कोरोना संक्रमित पाए गए, जिसके बाद उन्हें रिम्स (RIMS Ranchi) के कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था। सेहत में सुधार न होने के कारण उन्हें 1 अक्टूबर को रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं होने पर चेन्नई के एमजीएम अस्पताल (MGM Healthcare) से विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम बुलाई गई।

जांच में पाया गया कि जगरनाथ महतो का फेफड़ा पूरी तरह डैमेज हो चुका है। चेस्ट एक्सरे (Chest X-ray) में पहले 70 फीसदी इंफेक्शन देखने को मिला, जो दिन गुज़रने के साथ बढ़ कर 95 फीसदी तक पहुंच गया। इस दौरान रिम्स में उन्हें 100 फीसदी तक हाई फ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ वेंटिलेटर पर रखा गया।

इसके बाद, झारखंड के शिक्षा मंत्री महतो को 1 नवंबर 2020 को लंग ट्रांसप्लांट के लिए एमजीएम चेन्नई ले जाया गया, जहां 11 नवंबर को उनके फेफड़े का सफल प्रत्यारोपण हुआ। लंग्स ट्रांस्प्लांट के बाद झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो पूरी तरह से स्वस्थ हो कर चेन्नई से 237 दिनों बाद 21 जून 2021 को वापस झारखंड लौटे।

मुझे याद है जब मैं उनसे मिला तो उनकी आखों में आत्मविश्वास झलक रखा था। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से कहा, “मेरी झारखंड वापसी में सबकी दुआ और डॉक्टर की दवा काम आई।” लेकिन लंग्स प्रत्यारोपण के बाद जगरनाथ महतो का स्वास्थ्य स्थिर नहीं रहा। वह अक़्सर अस्वस्थ रहने लगे।

‘Tiger’ Jagarnath Mahto का राजनीतिक सफ़र

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का जन्म जनवरी, 1967 में बोकारो के अलारगो नामक गांव में हुआ था। पहले जगरनाथ महतो ने जीविकापार्जन के लिए मज़दूरी का रास्ता चुना। उनके पिता नेम नारायण महतो भारतीय रेलवे में गैंगमैन थे, हालांकि महतो की पारिवारिक पृष्ठभूमि खेती-किसानी करने की थी।

1980 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सुप्रिमो शिबू सोरेन (Shibu Soren) के नेतृत्व में चलाए जा रहे झारखंड आंदोलन (Jharkhand Movement) के उरूज के समय जगरनाथ महतो राजनीति से प्रेरित हुए।

“जगरनाथ दा झारखंड आंदोलन के दौर से ही जेएमएम के तेजतर्रार नेता थे।” यह कहते हुए लोकेश्वर महतो की आंखों में आंसू आ गए।

भर्राई आवाज़ में वह आगे कहते हैं, “मंत्री जी से उम्र में एक साल बड़ा हूं। कहने को वह मेरे और मैं उनका निकटतम मित्र था, लेकिन मेरे लिए वह हमेशा अभिभावक की तरह थे।”

लोकेश्वर महतो कहते हैं कि झारखंड आंदोलन के दौरान जगरनाथ दा का जो साथ मिला, वह आज तक जारी रहा। वह बताते हैं, “मुझे याद है कि 1995 में झारखंड आंदोलन चरम पर था, उस दौरान अनगिनत रात जंगल की ज़मीनों पर गुज़रीं। उस दौर में कई दिन अनाज का एक दाना नहीं मिलता था, लेकिन जगरनाथ दा कभी उफ्फ तक नहीं करते थे। उनकी इस अदा से हम सभी को हिम्मत मिलती थी।”

लोकेश्वर महतो के अनुसार, जगरनाथ महतो को झारखंड आंदोलन के दौरान किए गए उनके संघर्ष के परिणामस्वरूप ही नब्बे के दशक में पार्टी की ओर से ब्लॉक का अध्यक्ष बनाया गया।

झारखंड मुक्ति मिर्चा की ओर से की गई आर्थिक नाकेबंदी को याद करते हुए लोकेश्वर महतो कहते हैं, “दीपावली की रात हम 11 आंदोलनकारियों ने दादा के नेतृत्व में रेलवे ट्रैक को और फिर जीटी रोड को कोदवाडीह में जाम किया। इस दौरान अपनी आंदोलनकारी छवि की वज़ह से उनको कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन दादा हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते थे।”

शायद इन्हीं वज़हों से बोकारो के आसपास के माइनिंग एरिया के मज़दूर व ग्रामीणों के बीच जगरनाथ महतो की छवि एक हमदर्द की बन चुकी थी। यही कारण है कि बिना किसी राजनीतिक-गुरु (Political Godfather) के वह एक ज़मीनी नेता का सफ़र तय करते हुए विधानसभा पहुंचे।

जगरनाथ महतो पहली बार वर्ष 2000 में डुमरी सीट से चुनाव लड़े, लेकिन 6 हज़ार वोट से हार गए। लेकिन इसके बाद वर्ष 2005, 2009, 2014 और 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने लगातार जीत हासिल की।

लोकेश्वर महतो बताते हैं, “2000 से 2019 के दौरान जगरनाथ महतो ने जितने विधानसभा चुनाव लड़े, उन सभी में उनका मत प्रतिशत बढ़ता गया। उन्होंने अपना अंतिम विधानसभा चुनाव वर्ष 2019 में लड़ा, जिसमें जगरनाथ दा ने 40 हज़ार मतों से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी।”

जगरनाथ महतो को 2014 लोकसभा चुनाव में जेएमएम (Jharkhand Mukti Morcha) ने गिरिडीह संसदीय सीट से लोकसभा का टिकट दिया। इस चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद 2019 में वह दोबारा गिरिडीह सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी वह चुनाव हार गए।

लोकेश्वर महतो के अनुसार, “जगरनाथ दा की निष्पक्ष छवि, सादगी से भरा व्यक्तित्व व बोकारो की जनता के बीच उनकी एक सच्चे हमदर्द की छवि के कारण वह शिक्षा मंत्री बने। उन्हें शिक्षा से बहुत लगाव था। मुझे याद है कि वह 90 के दशक में अपने गांव अलारगो व आसपास के गांवों के छात्रों को परीक्षा में जाने के लिए सुबह उठाते और उनको परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने का इंतज़ाम भी करते थे।”

“झारखंड आंदोलन (Jharkhand Andolan) के कारण वह समय पर मैट्रिक नहीं कर सके। लेकिन जैसे ही उनके जीवन में स्थिरता आई, उन्होंने 28 वर्ष की आयु में हाईस्कूल पास किया। मुझे हमेशा दुख रहेगा कि उनकी इंटर करने की चाहत अधूरी रह गई”, लोकेशवर महतो अपनी बात में आगे जोड़ते हैं।

एक अधूरी इच्छा ’12वीं करने की’

नक्सल प्रभावित इलाके में रहकर भी जगरनाथ महतो में पढ़ने की ललक कहीं मन में दबी रही। यही वज़ह है कि जगरनाथ महतो ने 28 वर्ष की आयु में हाईस्कूल किया। 12वीं करने की चाहत लिए वह राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए शिक्षा मंत्री बन गए।

वर्ष 2020 में वे तब सुर्ख़ियों में आए जब उन्होंने 10 अगस्त को इंटरमीडिएट में एडमिशन ले लिया। दरअसल शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो पर अक़्सर कटाक्ष किया जाता था कि वे मात्र दसवीं पास हैं, फिर भी शिक्षा मंत्री बन गए।

मुझे याद है कि 11वीं में एडमिशन लेने के बाद उन्होंने मुझसे कहा था कि “लोगों के कटाक्ष से मुझे बहुत दुःख होता है, इसलिए मैंने इंटर में दाख़िला लिया है, आगे बीए (स्नातक) भी करूंगा।”

उस दौरान जगरनाथ महतो ने यह भी बताया कि “10वीं की परीक्षा देने के समय ‘झारखंड आंदोलन’ अपने चरम पर था। मैं आंदोलन का हिस्सा बनते हुए विनोद बिहारी महतो के नेतृत्व में राजनीति करने लगा। राजनीति का हिस्सा बनने के कारण मेरी आगे की शिक्षा रुक गई।”

उन्होंने आगे कहा, “अब मैं इंटर की पढ़ाई करूंगा और अच्छे नंबरों से पास होकर दिखाऊंगा।”

11वीं में दाख़िला लेने के बाद शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो पढ़ाई की तैयारी में जुट गए। उस दौरान उनके कई वीडियो सामने आए, जिसमें वे अपने विधानसभा क्षेत्र डुमरी से रांची वापस आने के दौरान गाड़ी में पढ़ाई करते नज़र आए।

वर्ष 2021 में जगरनाथ महतो 11वीं की परीक्षा देने की तैयारी में थे, तभी वह कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार हो गए। इस कारण महतो परीक्षा नहीं दे पाए। अब उनके देहांत के साथ ही इंटरमीडिएट करने का उनका सपना भी अधूरा रह गया।

राजनीति के गलियारे में शोक की लहर

जगरनाथ महतो को उनकी अस्वस्थता के दौरान हर क़दम पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साथ मिला। जब शिक्षा मंत्री इलाज के लिए चेन्नई जा रहे थे, उस समय भी सोरेन उनके साथ दिखे। उनके देहांत की सूचना पाकर मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दुःख प्रकट किया।

ट्वीट में उन्होंने लिखा, “अपूरणीय क्षति! हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। चेन्नई में इलाज के दौरान जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे।”

वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने भी जगरनाथ महतो के देहांत पर ट्वीट के माध्यम से दुःख जताया।

उन्होंने कहा, “यह जानकर दुख हुआ कि झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो जिनका चेन्नई के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था, उनका निधन हो गया। मैं उनके शोक संतप्त परिवार और झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।