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इमरान और आर्मी: आर्थिक बदहाली के बीच राजनीतिक संकट से जूझता पाकिस्तान

इस्लामाबाद हाई कोर्ट से बीते 9 मई को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार किए जाने के बाद देश में तनाव की स्थिति बनी हुई है। खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं, और हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं।


By Team Mojo, 11 May 2023


पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान (Imran Khan) को मंगलवार (9 मई) को इस्लामाबाद के हाई कोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद से देश में तनाव का माहौल बना हुआ है। इमरान की गिरफ्तारी से नाराज उनकी पार्टी पीटीआई (PTI) के समर्थकों ने कई प्रमुख शहरों में हंगामा शुरू कर दिया और हिंसक प्रदर्शन पर उतर गए। इस दौरान 19 लोगों के जान जाने का मामला भी सामने आया है। इसे देखते हुए राजधानी इस्लामाबाद में धारा 144 लागू लगाई गई है।

इमरान खान पर राजद्रोह, आतंकवाद और हिंसा भड़काने जैसे आरोप लगे हैं। मालूम हो कि खान लाहौर से इस्लामाबाद कोर्ट में पेश होने आए थे। इस दौरान जब वह अदालत में बायोमेट्रिक प्रक्रिया कर रहे थे, तभी सेना के जवानों ने कोर्ट की खिड़की को तोड़ कर और वकीलों, सुरक्षा कर्मचारियों से झड़प के बाद खान को यहां से गिरफ्तार कर लिया। पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री को अल कादिर ट्रस्ट केस में गिरफ्तार किया गया।

खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थन में सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) की ओर जाने वाली सड़कों पर झाड़ियां, टायर जलाए और पथराव किया। इस दौरान इस्लामाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर और देश के अन्य प्रमुख शहरों में पीटीआई समर्थकों ने विरोध के दौरान मुख्य मार्गों को जाम कर दिया।

आर्मी और इमरान: क्या है मसला

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) के समर्थकों का गुस्सा आर्मी से जुड़े अधिकारियों पर अधिक फूटा। प्रदर्शनकारियों ने उनके घर और ऑफिस को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान के कोर कमांडर के घर पर जमकर तोड़-फोड़ की। समर्थकों ने मार्च के दौरान सड़कों पर खड़ी गाड़ियों को आग लगा दी।

बावजूद इसके, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं हैं। पहले मंगलवार को पाकिस्तानी रेंजर्स ने अल कादिर ट्रस्ट मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट से उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, बुधवार को तोशखाना मामले में भी इमरान खान पर आरोप तय हो गए हैं।

पाकिस्तान में बिगड़ते माहौल और हंगामे के बीच वहां की सेना ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों को चेतावनी दी कि वह किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं देंगे। पाकिस्तानी सेना ने 9 मई को पीटीआई समर्थकों द्वारा किए गए हमलों को देश के इतिहास में एक ‘काला अध्याय’ बताया।

बता दें कि भ्रष्टाचार के एक मामले में अपने नेता इमरान खान की गिरफ्तारी से गुस्साए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थकों ने मंगलवार को सेना के जनरल मुख्यालय और कई अन्य सैन्य संपत्तियों और प्रतिष्ठानों पर धावा बोल दिया था।

सेना की मीडिया शाखा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, “हम किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं देंगे।”

अल कादिर ट्रस्ट मामला

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान को अल कादिर ट्रस्ट मामले में आरोपी बनाया गया। यह विश्वविद्यालय से जुड़ा एक मामला है। एनएबी (National Accountability Bureau) ने पिछले बुधवार को इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीवी और इमरान खान की पार्टी पीटीआई से जुड़े कई नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया था।

आरोप है कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए अपनी पत्नी बुशरा बीबी और पीटीआई के कुछ अन्य नेताओं के साथ मिलकर अल-कादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट ट्रस्ट का गठन किया था। इसका उद्देश्य पंजाब (पाकिस्तान) के सोहावा जिला झेलम में ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ प्रदान करने के लिए ‘अल-कादिर विश्वविद्यालय’ स्थापित करना था। ट्रस्ट के कार्यालय के पते का उल्लेख “बनी गाला हाउस, इस्लामाबाद” के रूप में किया गया है। जबकि इस विश्वविद्यालय के लिए इमरान और उनकी पत्नी ने एक रेशिडेंशियल कॉम्प्लेक्स की जमीन गैर कानूनी तरीके से हड़प ली। इसके लिए दोनों ने पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्सियत मलिक रियाज को धमकी भी दी थी। इमरान की पत्नी बुशरा बीबी की ओर से पांच कैरेट के हीरे की अंगूठी मांगे जाने की बात भी सामने आई थी।

इसके अलावा, इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और अन्य पीटीआई नेताओं पर राष्ट्रीय खजाने को 190 मिलियन पाउंड का नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगा है।

क्या है तोशाखाना मामला?

पाकिस्तान के कानून के अनुसार, किसी विदेशी राज्य के गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त कोई भी उपहार स्टेट डिपॉजिटरी यानी तोशाखाना में रखना होता है। अगर राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। ये उपहार या तो तोशाखाना में जमा रहते हैं या नीलाम किए जा सकते हैं। इसके माध्यम से अर्जित धन को राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है।

आरोप है कि 2018 में सत्ता में आए इमरान खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान करीब 14 करोड़ रुपये के 58 उपहार मिले थे। इन महंगे उपहारों को तोशाखाना में जमा किया गया था, जबकि बाद में इमरान खान ने उन्हें तोशखाने से सस्ते दाम पर खरीद लिया और फिर महंगे दाम पर बाजार में बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया के लिए उन्होंने सरकारी कानून में बदलाव भी किए।

जानकारी के अनुसार, इमरान ने 2.15 करोड़ रुपये में इन उपहारों को तोशखाने से खरीदा था और उन्हें बेचकर 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया। उपहार में एक ग्राफ घड़ी, कफलिंक का एक जोड़ा, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स घड़ियां भी थीं।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल अगस्त में इमरान खान को सत्ता से हटाए जाने के कुछ महीनों बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सांसदों ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ के सामने एक आरोप पत्र दायर किया था। इसमें इमरान खान पर आरोप लगाए गए थे कि जो उपहार उन्हें मिले, उसका विवरण तोशाखाना को नहीं सौंपा गया था; और उन्हें बेचकर पैसे कमाए गए हैं।

पाकिस्तान के स्पीकर ने इस मामले में जांच करवाई, जिसके बाद आठ सितंबर को इमरान खान को इस मामले में नोटिस मिला। इसके जवाब में खान ने कहा था कि प्रधानमंत्री रहते हुए मिले चार उपहारों को उन्होंने बेच दिया था। उन उपहारों में ग्रेफ, रोलेक्स घड़ी, कफ़लिंक की एक जोड़ी, एक महंगी कलम, कई धातुओं की चीजें और एक अंगूठी शामिल थी।

संसद की सदस्यता छिन गई

तोशाखाना मामले में आरोप साबित होने पर पिछले वर्ष 2022 में इमरान खान की संसद सदस्यता चली गई। जांच में पाया गया कि इमरान खान ने जानबूझकर चुनाव अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन किया था और गलत बयान दिया था। इसके अलावा वर्ष 2020-21 के लिए उन्होंने अपनी संपत्तियों के बारे में भी गलत जानकारी दी थी।

इमरान खान को चुनाव अधिनियम की धाराओं के साथ, संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) में कहा गया है कि एक व्यक्ति कुछ समय के लिए, किसी भी कानून के तहत मजलिस-ए-शूरा या प्रांतीय विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने या चुने जाने के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है।

इसके बाद, इमरान ने यह भी कहा था कि “मेरा गिफ्ट है, मैं कुछ भी करूं”। तोशखाना मामला सामने आने के बाद इमरान खान ने इस पर बयान भी दिया था। उन्होंने कहा था कि ये उपहार उन्हें निजी तौर पर मिले हैं, इसलिए उन्हें इसे अपने पास रखने का अधिकार है। हालांकि, बाद में उन्होंने तोशखाने मामले के सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया था।