Russia-Ukraine War: रूस में नौकरी के लालच में फंसे भारतीय, 2 महीने बाद भी राह देख रहा परिवार

Russia-Ukraine War: रूस में नौकरी के लालच में फंसे भारतीय, 2 महीने बाद भी राह देख रहा परिवार

बेहतर नौकरी और अच्छे वेतन की तलाश में भारतीय रूस में जाकर फंस रहे हैं और वहां उन्हें जंग में लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सीबीआई ने ऐसे कई मानव तस्करी नेटवर्क का पर्दाफ़ाश किया है जो यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म की मदद से ज़रूरतमंद लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

Byline : Team Mojo  ,

“हम सात बंदे हैं; हमें बताया गया है कि कुछ दिनों के बाद रूस और यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात कर दिया जाएगा। हमें सही से बंदूक़ पकड़ना भी नहीं आता है। हमारी भारतीय एम्बेसी और सरकार से मांग है कि हमें जल्द यहां से निकाला जाए।”

उक्त संदेश रूस में फंसे सात भारतियों ने एक वीडियो के माध्यम से शेयर किया। उस डेढ़ मिनट के वीडियो में रूसी सेना की वर्दी पहने हुए भारतीय नौजवानों के चेहरे पर साफ़ तौर पर डर झलक रहा है। वीडियो में वे बताते हैं कि उन्हें स्वीपर की नौकरी दिलाने के झांसे से रूसी भाषा में लिखे एक कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करवाया गया, लेकिन बाद में फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया।

इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो जानकारी सामने आई कि उन सात नौजवानों के अलावा और भी भारतीय रूसी सेना में जबरन भर्ती किये गए हैं। इस मामले पर बोलते हुए मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स के स्पोक्स्पर्सन रणधीर जयसवाल ने बताया कि “कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना के साथ काम करने के लिए धोखा दिया गया है। हमने उनकी शीघ्र रिहाई के लिए रूसी सरकार के साथ दृढ़ता से इस मामला को उठाया है।”


अब्दुल नईम •

दो महीने बाद भी परिवारों को सरकार से आस

“22 जनवरी से मेरी अपने बच्चे से बात नहीं हुई है। मुझे चिंता हो रही है कि मेरा बच्चा किस हाल में होगा!” अब्दुल रउफ यह कहते हुए रोने लगे। उनका 32 वर्षीय बेटा अब्दुल नईम भी बेहतर रोज़गार की तलाश में दुबई से रूस गया था, लेकिन बाद में उन्हें भी रूस की सेना की तरफ़ से युद्ध में लड़ने के लिए धकेल दिया गया।

रउफ बताते हैं कि उनका बेटा अपने तीन दोस्तों के साथ दुबई में काम करने गया था। वहां उनके वीज़ा के दो महीने बचे हुए थे, तभी उनकी मुलाक़ात दुबई के एक मॉल में ‘बाबा व्लॉग’ के संचालक से हुई। उसने हमारे बच्चों को बताया कि तीन लाख रुपये देने पर रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी में लगा देगा; जहां 40 हज़ार रुपये तनख़्वाह मिलेगी।

‘बाबा व्लॉग’ के कहने पर चारों बच्चे (तीन गुलबर्ग के रहने वाले और एक आंध्र प्रदेश से) रूस चले गए। जब वे वहां पहुंचे तो उन्हें रुसी भाषा में अग्रीमेंट पर सिग्नेचर करने के लिए कहा गया। “जब उन्होंने उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तो बाबा व्लॉग के संचालक ने उन्हें फ़ोन किया और धमकाया कि अगर उस नौकरी के लिए मना किया तो तीन लाख रुपया डूब जाएगा और नौकरी भी नहीं मिलेगी,” रउफ को उनके बेटे ने जो सब बताया; उन्होंने हमारे साथ साझा किया।


मोहम्मद असफान •

हैदराबाद के मोहम्मद असफान को भी इसी तरह युद्ध में धकेला गया। कुछ महीने बाद ख़बर मिली कि उनकी फ्रंटलाइन में मौत हो गई है। रूस में इंडियन एम्बेसी की सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया कि “हमें एक भारतीय नागरिक मोहम्मद असफान की दुखद मृत्यु के बारे में पता चला है. हम परिवार और रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं और मिशन उनके पार्थिव शरीर को भारत भेजने का यथाशीघ्र प्रयास करेगा.”

मोहम्मद असफान के भाई इमरान बताते हैं कि उनके भाई को भी ‘बाबा व्लॉग’ रूस लेकर गया था। बाद में पता चला की उन्हें जंग के मैदान में धकेल दिया गया है। उनके घर में असफान की पत्नी और दो बच्चे हैं.

वहीं, अब्दुल नईम के पिता अब्दुल रउफ बताते हैं कि वह रोज़ाना भारत और रूस की एम्बेसी में कॉल करते हैं। हर फ़ोन की घंटी से पहले रउफ के मन में आशा रहती है कि कोई सकारात्मक ख़बर मिलेगी, हालाँकि उन्हें अभी तक किसी भी तरह का स्पष्ट ज़वाब नहीं मिला।

जबकि, इस मामले में भारत सरकार ने बीते 22 मार्च को अपनी प्रेस रिलीज़ में बताया कि सरकार ने ऐसे नागरिकों की जल्द रिहाई के लिए रूसी सरकार के साथ इस मुद्दे को मज़बूती से उठाया है। इस पूरे मामले में लगभग 12 पीड़ित परिवारों के इसी तरह के दावे के बाद भारत सरकार ने पिछले महीने स्वीकार किया था कि कुछ भारतीय रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे हुए हैं। सरकार ने यह भी बताया कि कुछ फंसे भारतीय नागरिकों को रूस-यूक्रेन युद्ध से निकाल लिया गया है।


फैसल खान •

कौन है ‘बाबा व्लॉग’?

इस पूरे मामले में सीबीआई ने अलग-अलग राज्यों में छापेमारी कर एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है। जांच एजेंसी ने ऐसे 17 एजेंट की पहचान की है जो रूस में अच्छी सैलरी वाली नौकरी का झांसा देकर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे।

फैसल खान नाम के शख्स की भूमिका इसमें सामने आई है, जो एक भर्ती एजेंसी और ‘बाबा ब्लॉग’ नाम से एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल चलाता है। 30 वर्षीय फैसल जो मुंबई के दादर में रहता है; साल 2008 में दुबई गया, जहां वह सेल्समैन का काम करता था। वर्ष 2016 में फैसल ने अपनी कंसल्टेंसी ‘बाबा ब्लॉग’ शुरू की। साल 2018 में भारतीय अधिकारियों ने फैसल खान से पूछताछ की थी, जब उनकी ओर से दुबई भेजे गए एक व्यक्ति ने दावा किया था कि उन्हें ज़बरन इस्लाम धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है।

यूट्यूब पर फैसल खान के तीन लाख फॉलोअर्स हैं। उन्होंने अपना अंतिम वीडियो 8 जनवरी को शेयर किया था, जिसमें उन्होंने न्यूजीलैंड के विजिट वीजा की चर्चा की थी। उस वीडियो में फैसल ने दावा किया कि रूस की सेना को इमारतों की हटाई, हथियारों और गोला-बारूद की देखभाल के लिए लोगों की आवश्यकता है। उसने इसका लाभ पाने के लिए तीन लाख रुपये की शुरुआती फीस की मांग भी की थी।


प्रतीकात्मक इमेज •

विदेशों में नौकरी के लालच में फंसते भारतीय

कई भारतीय जो विदेश में काम करने की आशा रखते हैं, वे नकली नौकरी के शिकार हो जाते हैं। साल 2022 में कई युवा भारतीय, विशेष रूप से आईटी क्षेत्र के लोग ऐसी धोखेबाज़ी के शिकार बन गए। नक़ली आईटी कंपनी, कॉल सेंटर घोटाले और क्रिप्टोकरेंसी ने उन्हें लाभकारी रोजगार की पेशकश के साथ मोहित किया। भले ही उन्हें थाईलैंड में काम मिलने का वादा किया गया, लेकिन वास्तव में वे म्यांमार में अवैध गतिविधियों के लिए मजबूर किये गए। हाल ही में, लाओस से भी कुछ ऐसे ही षड़यंत्रों की सूचनाएं आ रही हैं।

हालांकि, भारतीय अथॉरिटीज के द्वारा धोखाधड़ी के शिकार लोगों की सुरक्षा की जाती रही है; लेकिन यह बार-बार हो रहा है, जो इस समस्या को तुरंत संभालने की आवश्यकता को साबित करता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में दक्षिण-पूर्व एशिया, रूस और पश्चिमी एशिया में अंतरराष्ट्रीय नौकरी की धोखाधड़ी के धंधे में 500 से अधिक भारतीयों को शिकार बनाया गया है।

वर्ष 2022 में 13 मिलियन से अधिक भारतीय देश के बाहर रह रहे थे, जिसमें विदेशी देशों में काम करने वाले भी शामिल थे। हालांकि, सरकार ने वास्तविक संख्या को प्रकाशित नहीं किया जिससे पता चले कि हर साल कितने भारतीय काम के लिए देश से बाहर जा रहे हैं। बल्कि, सरकार केवल उन लोगों की गिनती करती है जो विशेष पासपोर्ट के साथ विदेश या युद्धग्रस्त देशों में गए। साल 2022 में, इस प्रकार के लगभग 370,000 लोगों का उल्लेख किया गया था।

उक्त समस्या को मद्देनज़र रखते हुए सरकार के लिए एक ऐसे तंत्र को खोजना महत्वपूर्ण है जो भारत से श्रम प्रवाहों को पहचानने और ट्रैक करने में मदद करता हो। यह उन लोगों को ढूंढने में मददगार हो सकता है जिन्हें अन्य देशों में अवैध रूप से ले जाया गया है।

Next Story