मध्य प्रदेश के सीधी में अदालत के ‘स्टे’ के बावजूद प्रशासन की कार्रवाई, काग़ज़ देखे बिना तोड़ डाला विधवा रन्नू देवी का घर

मध्य प्रदेश के सीधी में अदालत के ‘स्टे’ के बावजूद प्रशासन की कार्रवाई, काग़ज़ देखे बिना तोड़ डाला विधवा रन्नू देवी का घर

साल 2021 में जब डी.जे. प्लाजा प्रस्तावित हुआ था तो प्रशासन की एक बैठक में कहा गया था कि प्रभावितों को ज़मीन आवंटित की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब बिना किसी आदेश के घरों को तोड़ने की कार्रवाई हो रही है। जबकि, कुछ पीड़ितों के घर तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने हैं; ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उनके निर्माण के वक़्त वैध/अवैध ज़मीन का ध्यान नहीं रखा गया?

मध्य प्रदेश के सीधी जिले में अदालत के स्थायी कार्रवाई के बावजूद, जिला प्रशासन ने रन्नू देवी नाम की महिला के लगभग आधे घर को गिरा दिया। काफ़ी मिन्नत और अदालत का आदेश दिखाने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई को रोका, लेकिन तब तक घर का क़रीब आधा हिस्सा ध्वस्त हो चुका था।

उल्लेखनीय है कि सीधी जिले के भगवानदीन कहार को 13 अगस्त 1984 को मध्य प्रदेश सरकार की सीएम पट्टा वितरण योजना के तहत ज़मीन मिली थी। उन्होंने उस जमीन पर घर बनवाया और 1988 में उसका नवीनीकरण कराया। वर्ष 2021 में यह ज़मीन उनकी पत्नी रन्नू देवी के नाम पर दर्ज हो गई।

पिछले साल 2023 में, सीधी जिला प्रशासन ने उक्त स्थान पर डी.जे. प्लाजा बनाने का निर्णय लिया और रन्नू देवी के घर को अवैध बताकर खाली करने का आदेश दिया। उसके बाद, रन्नू देवी ने अदालत का रुख़ किया और कोर्ट ने छह जून, 2024 को पट्टे को वैध मानते हुए उसे तीन महीने का स्टे दे दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि उन्हें दूसरी जगह दिए बिना वहां से नहीं हटाया जा सकता।

जब तक रन्नू देवी को इस घटना की सूचना मिली और स्टे ऑर्डर लाया गया, तब तक घर का आधा हिस्सा गिर चुका था। उस वक़्त घर में केवल रन्नू देवी की बेटी निर्मला सोंधिया ही थी।


घर से सामान निकालने तक का नहीं दिया मौक़ा

निर्मला सोंधिया ने मोजो स्टोरी को बताया, “19 जून को जब घर में मेरे सिवाय और कोई नहीं था, तब तहसीलदार, पटवारी और डी.जे. प्लाजा के कर्मचारी आए और कुल्हाड़ी से मेरे दरवाजे को तोड़ने लगे। मेरी मां उस समय घर पर नहीं थी। मैंने उनसे विनती की कि वे 10 मिनट इंतजार कर लें, ताकि मेरी मां आकर अपने सामान निकल सके; लेकिन उन्होंने नहीं सुना और लगभग आधे घर को नुक़सान पहुंचा दिया।”

वह बताई हैं कि प्रशासन ने उनके शौचालय तोड़ दिए हैं और उनके पास शौच के लिए कहीं और जाने की कोई जगह नहीं है। “उस दौरान डीजे प्लाजा के कर्मचारियों ने मेरे साथ मारपीट की। मौक़े पर प्रशासन के लोग मौजूद थे, लेकिन दोषी लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई,” निर्मला आरोप लगाती हैं।


‘बिना किसी आदेश के प्रशासन ने पीड़ितों का घर तोड़ा’

रन्नू देवी के अलावा आठ और परिवारों को भी प्रशासन की ओर से घर खाली करने का आदेश दिया गया है, जो कई पीढ़ियों से वहां रह रहे थे। अधिवक्ता अरुण कुमार तिवारी के अनुसार, साल 2021 में जब डी.जे. प्लाजा प्रस्तावित हुआ था तो प्रशासन की एक बैठक में कहा गया था कि प्रभावितों को ज़मीन आवंटित की जाएगी। लेकिन आज तक उन्हें कोई जमीन नहीं दी गई, जबकि अब बिना कुछ दिए ही उन्हें हटाया जा रहा है।

डीजे प्लाजा सीधी प्रशासन द्वारा प्रस्तावित परियोजना है, जिसमें बड़े शहरों के मॉल के तर्ज पर 500 से अधिक दुकानें, पार्किंग, फिटनेस सेंटर, स्विमिंग पूल एवं स्पा आदि खोलने का प्रस्ताव है।

अरुण आगे कहते हैं कि 19 जून को प्रशासन बिना किसी आदेश के पीड़ितों का घर तोड़ने पहुंच गया था। इस तरह की कार्रवाई दबाव बनाने के लिए की जा रही थी, ताकि पीड़ित घर छोड़कर चले जाएं। “ये ज़्यादातर मजदूर पेशे के लोग हैं; जो रोज कमाते-खाते हैं। अगर उन्हें यहां से निकाल दिया जाए तो उनके घर में छत भी नहीं होगी। प्रशासन को अगर यह ज़मीन चाहिए तो बदले में मुआवज़ा देना चाहिए,” वह जोड़ते हैं।

अरविंद कुमार चौरसिया कहते हैं कि “हम इस जगह पर पिछले 80 साल से रह रहे हैं। हमारी तीन पीढ़ी यहीं पैदा हुई है। हमें इस ज़मीन का पट्टा मिला है। यह घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना है। उसमें हमने भी लगभग चार से पांच लाख रुपये लगाए हैं। अब डी.जे. प्लाज़ा वाले कहते हैं कि हमारा घर गिरा देंगे। अगर हमें कहीं और घर दे दिया जाएगा तो हम खाली कर देंगे, नहीं तो इस बारिश के मौसम में सड़क पर रहने के अलावा कोई उपाय नहीं बचेगा।”

इस मामले में जब हमने स्थानीय पटवारी रविशंकर शुक्ला से पूछा, तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों की अनुमति से कार्रवाई की गई है। जब उनसे पूछा गया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद यह कार्रवाई क्यों की गई, तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

वहीं, जब मोजो स्टोरी ने सीधी के गोपद बनास की तहसीलदार जान्हवी शुक्ला से इन आरोपों पर बात की, तो उनका कहना था कि कोर्ट ऑर्डर देखने के बाद ही उन्होंने कार्रवाई रोक दी थी। हालांकि, जब हमने उनसे पूछा कि कोर्ट ऑर्डर के बावजूद प्रशासन कार्रवाई के लिए क्यों पहुंचा, तो उन्होंने भी इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।


‘डीजे प्लाजा के कर्मचारियों से मिल रही धमकी’

एक अन्य पीड़िता ने नाम छापने की शर्त पर बताया, “डीजे प्लाजा के मालिक अपने कर्मचारियों से हमें धमकी दिलवाते हैं। वे कहते हैं कि किसी भी दिन जेसीबी लाकर पूरा घर गिरा दिया जाएगा। तुम्हारे घर की बुनियाद भी खोद दी गई है, किसी भी दिन यह गिर जाएगा।”

उक्त आरोपों के संबंध में जब हमने डीजे प्लाजा के मालिकों से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।


इस मामले का क़ानूनी पक्ष समझने के लिए मोजो स्टोरी ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अली ज़ैदी से बात की। ज़ैदी बताते हैं, “कोर्ट की ओर से तीन माह का स्टे देने के बावजूद दलित विधवा रन्नू देवी का घर तोड़ना न केवल न्यायालय की अवमानना और आपराधिक कृत्य है, बल्कि पिछड़ों और वंचितों के प्रति सरकार के नज़रिये का एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है। यह आश्चर्यजनक है कि प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से किये गए आपराधिक कृत्यों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।”

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