यूजीसी नेट 2024: NTA की अनियमितता व शिक्षा मंत्रालय की कार्रवाई से नाखुश NET आवेदकों का अधर में लटका भविष्य

यूजीसी नेट 2024: NTA की अनियमितता व शिक्षा मंत्रालय की कार्रवाई से नाखुश NET आवेदकों का अधर में लटका भविष्य

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में एक के बाद एक अनियमितता पाए जाने से परेशान देशभर के छात्र। छात्रों के विरोध के बाद केंद्र सरकार ने कड़ाई से लागू किया लोक परीक्षा कानून, 2024।

बीते 19 जून की देर शाम को शिक्षा मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आए एक ट्वीट ने देशभर के राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के प्रतियोगियों में हड़कंप मचा दिया। मंत्रालय ने ट्वीट कर सूचित किया था कि “गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की ओर से नेट की परीक्षा में गड़बड़ी के संकेत मिले हैं; जिसे देखते हुए 18 जून को हुई यूजीसी नेट, 2024 की परीक्षा रद्द की जा रही है। यह परीक्षा फिर से आयोजित की जाएगी। परीक्षा की नई तिथि से संबंधित जानकारी एनटीए की वेबसाइट पर जारी की जाएगी।” इससे कुछ ही दिन पहले एनटीए की ओर से आयोजित की जाने वाली नीट-पीजी परीक्षा में भी कथित धांधली की खबरें आ रही थी।

ग़ौरतलब है कि 18 जून को यूजीसी नेट की परीक्षा हुई थी और परीक्षा के 24 घंटे बाद ही उसे रद्द कर दिया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मुताबिक़, इस बार कुल 11 लाख 21 हज़ार 225 छात्रों ने नेट के लिए पंजीकरण करवाया था, जिसमें से 81 फ़ीसद छात्र 18 जून की परीक्षा में शामिल हुए थे। परीक्षा के लिए देश भर के 317 शहरों में कुल 1205 केंद्र बनाए गए थे। लेकिन, पेपर रद्द होने के बाद से ही परीक्षा आयोजित कराने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) सवालों के घेरे में है। केंद्र सरकार भी एजेंसी के ख़िलाफ़ सख़्ती करती हुई नज़र आ रही है।

अनिश्चतताओं से घिरे परीक्षार्थी

दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहीं मंशा ने मोजो स्टोरी को बताया कि परीक्षा रद्द होने की सूचना ने उन्हें ‘शॉक’ कर दिया। वह बताती हैं, “मेरी पीएचडी का यह तीसरा साल है। मुझे अभी तक नॉन नेट फ़ेलोशिप मिल रही थी, लेकिन जून के बाद मेरा वह वज़ीफ़ा बंद हो जाएगा। आगे की पढ़ाई और शोध कार्य के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ़) प्राप्त करना मेरे लिए बहुत ज़रूरी है।”

मंशा कहती हैं कि उन्होंने नेट की तैयारी में अपनी सारी ऊर्जा लगा दी थी। “मुझे उम्मीद थी कि इस बार मैं नेट-जेआरएफ़ क्वालीफ़ाई कर जाऊंगी। परीक्षा भी अच्छी गई थी। नेट मेरी अंतिम उम्मीद थी। असिस्टेंटशिप के लिए भी कम से कम नेट उत्तीर्ण होना ज़रूरी होता है। परीक्षा रद्द होने से मुझे अपना भविष्य अधर में लटका दिखाई पड़ता है। अब आगे की पढ़ाई के लिए संभवतः मुझे जॉब करनी पड़ेगी, जिसका असर मेरे शोध कार्य पर पड़ेगा,” निराश मंशा ने कहा।

नेट, 2024 रद्द होने से छात्रों के बीच अनिश्चितता है। परस्नातक (पोस्ट ग्रेजुएशन) के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए नेट, पीएचडी में दाख़िले के दरवाज़े खोलता। वहीं, कई अभ्यर्थियों के लिए नेट की परीक्षा कॉलेज और विश्वविद्यालय में संभावनाओं को विस्तार देता। लेकिन परीक्षा को रद्द किए जाने के बाद अब दुबारा परीक्षा कब होगी, कैसे होगी – जैसे सवाल छात्रों की बातचीत के केंद्र में हैं। कई छात्रों ने कहा कि परीक्षा रद्द होने से पढ़ाई की निरंतरता पर असर पड़ता है। अनिश्चितताओं के बीच घिरे होने से पढ़ाई बाधित होती है। परिवार की ओर से भी करियर बदलने का दबाव बढ़ता है।

उत्तर प्रदेश के मऊ के अरशद, हैदराबाद में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। गर्मियों की छुट्टी में वह घर आए थे और अपने गृह प्रदेश में ही उन्होंने नेट का परीक्षा केंद्र चुना था। वह अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहते हैं, “छुट्टियां ख़त्म होने वाली हैं और वापस मुझे हैदराबाद जाना होगा।” अरशद की चिंता है कि अगर परीक्षा दुबारा होती है और उन्हें केंद्र बदलने का मौक़ा नहीं मिलता है तो उन्हें वापस हैदराबाद से उत्तर प्रदेश परीक्षा देने आना पड़ेगा। ऐसे में वह बमुश्किल ही परीक्षा दे पाएंगे।

"हैदराबाद से मऊ आने-जाने में ही चार-पांच हज़ार खर्च हो जाते हैं। अगर मैं परीक्षा देने से वंचित रह जाता हूँ तो मेरी सारी मेहनत व्यर्थ हो जाएगी; जो समय हमारा दूसरे काम में लग सकता था, अब वह वापस नेट में खपेगा। अतिरिक्त पैसे लगेंगे वह अलग। सरकार परीक्षा रद्द करने की स्थिति में छात्रों की उन समस्याओं को काश देख और समझ पाती," अरशद ने जोड़ा।


यूजीसी नेट रद्द होने के बाद प्रदर्शन करते बीएचयू के छात्र • स्रोत: सोशल मीडिया

परीक्षा के पैटर्न में बदलाव

छात्रों ने मोजो को बताया कि यूजीसी नेट की परीक्षा इस बार पेन-पेपर मोड (ऑफ़लाइन मोड) में आयोजित हुई थी, जिसकी वज़ह से छात्रों को काफ़ी दिक्क़तों का सामना करना पड़ा। पूर्व में एनटीए यह परीक्षा ऑनलाइन लिया करती थी। इस बार छह साल बाद एजेंसी ने वापस ऑफलाइन परीक्षा लेने का फ़ैसला किया था।

इतिहास विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे विवेक कहते हैं, “पिछले कई वर्षों से सभी सरकारी प्रतियोगी परीक्षा ऑनलाइन ली जा रही थी; लिहाज़ा छात्रों ने भी अपनी तैयारी उक्त परीक्षा पैटर्न को ध्यान में रखकर की थी।” वह आगे कहते हैं, “प्रतियोगी परीक्षाओं में समय प्रबंधन की बहुत बड़ी भूमिका होती है। जबकि, ऑफ़लाइन परीक्षा लेने से छात्रों को ओएमआर शीट भरने में अतिरिक्त समय लगा; उसमें उत्तर पुस्तिका में अभ्यर्थी संबंधित कई जानकारियां भरनी होती हैं, जिसमें काफ़ी समय निर्थक नष्ट हो जाता है। इसको ध्यान में रखकर एनटीए को ऑफ़लाइन मोड में परीक्षा शिफ्ट नहीं करनी चाहिए थी।”

विवेक अकेले नहीं हैं जिन्हें ऑफलाइन मोड में नेट होने से दिक्कतें आई हो। मंशा ने भी बताया कि उनके लिए यह आसान नहीं था। “ऑनलाइन परीक्षा देने की वज़ह से ऑफ़लाइन तरीके से शीट भरने की आदत बिल्कुल ख़त्म हो गई थी। मैंने तैयारी बहुत अच्छी की थी, लेकिन कई सुविधाएं जो ऑनलाइन सिस्टम में होती हैं; मसलन, आपके स्क्रीन पर जवाब सब्मिट करने से पहले आपको क्रॉस चेक करने का एक मौक़ा मिलता है, लेकिन वह सुविधा ऑफ़लाइन में नहीं मिलती है। यह ऑफ़लाइन सिस्टम का एक कमज़ोर पक्ष है,” मंशा ने कहा।

‘एनटीए’ को सरकार की चेतावनी

यूजीसी नेट की परीक्षा में पेपर लीक मामले को लेकर एनटीए पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। पेपर लीक को लेकर विपक्षी राजनीतिक पार्टियां सरकार पर सवाल खड़े कर रही हैं, साथ ही देशभर में छात्रों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं। उसी कड़ी में, 22 जून को सरकार ने एनटीए पर कार्रवाई करते हुए एजेंसी के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) सुबोध कुमार सिंह को पद से मुक्त कर दिया और उनकी जगह सेवानिवृत्त आईएएस प्रदीप सिंह खरोला को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी का महानिदेशक बनाया गया है। प्रदीप सिंह खरोला कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं।

बता दें कि एनटीए पर हुई इस कार्रवाई से दो दिन पहले शिक्षा मंत्री ने सख़्त कदम उठाने के संकेत दिए थे। 20 जून को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “पहले तो मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार छात्रों के हितों को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पारदर्शिता के साथ हम कोई समझौता नहीं करेंगे। विद्यार्थियों का हित हमारी पहली प्राथमिकता है, किसी भी कीमत पर उसके साथ समझौता नहीं होगा। जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कड़ी से कड़ी करवाई की जाएगी।"

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, "एनटीए में सुधार के संबंध में सरकार एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने जा रही है। उच्च-स्तरीय समिति एनटीए, उसकी संरचना, कार्यप्रणाली, परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को और बेहतर बनाने के लिए सिफ़ारिश करेगी।" इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। शिक्षा मंत्री के मुताबिक़, समिति दो महीने के भीतर मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

‘एंटी पेपर लीक कानून’ लागू

परीक्षाओं में हो रही धांधली के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने लोक परीक्षा कानून, 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्र सरकार ने 21 जून को देश में एंटी-पेपर लीक क़ानून (Public Examinations: Prevention of Unfairs Means Act, 2024) लागू कर दिया है। इस कानून को चार महीने पहले ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी थी, जबकि शुक्रवार को कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने इसे देश भर में लागू करने के लिए अधिसूचित किया है।

एंटी-पेपर लीक क़ानून के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक जेल की सज़ा और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसमें सभी अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती होंगे। इस क़ानून के तहत पेपर लीक करने या परीक्षा के संबंध में किसी भी तरीक़े का कदाचार करने पर तीन से पांच साल तक की सज़ा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। मालूम हो कि अब तक पेपर लीक कराने या दूसरे की जगह परीक्षा देने जैसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420, 468 और 120B के तहत कार्रवाई की जाती थी, जिसमें अधिकतम सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान था।

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