Loan Scams: रिकवरी एजेंटों के दुर्व्यवहार से तनाव में जीने को मजबूर हो रहे लोग

Loan Scams: रिकवरी एजेंटों के दुर्व्यवहार से तनाव में जीने को मजबूर हो रहे लोग

इंस्टैंट लोन ऐप तुरंत पैसा देने का वादा करते हैं, लोग उनसे उधार ले लेते हैं; लेकिन जल्द ही उन्हें पता चलता है कि वे एक तरह के उत्पीड़न के जाल में फंस चुके हैं.

पिछले वर्ष मेरी पत्नी ने बंधन बैंक से एक लाख 20 हज़ार रुपये का ग्रुप लोन लिया था। लोन लेने के कुछ समय बाद हम दोनों के बीच असहमतियां बननी शुरू हुई और वह मायके चली गई। फ़िलहाल कोर्ट में हमारे तलाक़ का मामला चल रहा है। लोन मेरी पत्नी के नाम से था, लेकिन रिकवरी एजेंट ने इस दौरान 10 से भी अधिक बार मुझे फ़ोन किया और मेरे घर आकर धमकियां दीं। यह कहना है झारखंड के दुमका ज़िले के मोटर मैकेनिक मोहम्मद ज़ुबेर आलम का।

ज़ुबेर लोन रिकवरी एजेंट द्वारा बार-बार उनके घर आकर उनको धमकाए जाने से परेशान हैं। वह कहते हैं, “हमने बंधन बैंक को मेल कर लोन सेटलमेंट के लिए आग्रह भी किया, लेकिन वे राज़ी नहीं हुए। आज भी कभी वे मेरे घर आकर मुझे डराते हैं तो कभी फ़ोन कर मुझे गालियां देते हैं।”

हालांकि, बंधन बैंक के रिकवरी एजेंट जयदेव झा से गाली-गलौज के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने इसे खारिज़ करते हुए कहा कि हम ग्राहकों को कभी परेशान नहीं करते हैं।

वहीं, रिकवरी एजेंटों द्वारा किए जाने वाले उत्पीड़न के मामलों पर बात करते हुए ऐक्सिस बैंक, दुमका के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट रहे मनी केसरी बताते हैं, “बैंक ने रिकवरी एजेंट रखना बंद कर दिया है। हालांकि, एक तय अवधि के बाद जब ग्राहक का लोन अकाउंट एनपीए में चला जाता है तो बैंक थर्ड पार्टी को लोन बेच देती है और फिर उस तीसरी पार्टी द्वारा रिकवरी की प्रक्रिया शुरू होती है। उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन उसमें बैंक ज़िम्मेदार नहीं है क्योंकि तय समय तक ग्राहक द्वारा बकाया न चुकाए जाने पर लोन अकाउंट एनपीए घोषित हो जाता है। उसके बाद तीसरी पार्टी अपने हिसाब से रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करती है।”

उन्होंने आगे बताया कि बैंक के एग्जीक्यूटिव उस स्थिति में ग्राहक के घर पर जाते हैं जब कुछ महीनों तक लोन की किस्त नहीं भरी जाती, लेकिन वे उनसे सलीके से पेश आते हैं। जबकि, एनबीएफसी के रिकवरी एजेंट कई मामलों में आरबीआई के निर्देशों का हनन करते दिखे हैं।



क्या होता है लोन सेटलमेंट?

यदि किसी कारण से ग्राहक लोन की किस्त (ईएमआई) या पूरा भुगतान (फुल पेमेंट) करने में असमर्थ है, तो बैंक या एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) उनके समक्ष सेटलमेंट का प्रस्ताव रखते हैं। कई बार ग्राहक ख़ुद सेटेलमेंट का प्रस्ताव लेकर बैंक या एनबीएफसी के समक्ष जाते हैं। ऐसे में ग्राहक और बैंक या एनबीएफसी के बीच एक तय राशि देकर लोन सेटल करने पर सहमति बनती है।

हालांकि, लोन सेटलमेंट करने से लोन क्लोज़र नहीं होता। लोन सेटल करने से बैंक या एनबीएफसी को मूल धन या उससे कुछ कम राशि मिल जाती है, मगर वे क्रेडिट इनफार्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (Credit Information Bureau India Limited) में लोन ‘सेटल्ड’ अपडेट कर देते हैं। इससे ग्राहक को भविष्य में लोन मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि अन्य बैंकों या एनबीएफसी को सीआईबीआईएल देखकर अंदाज़ा लग जाता है कि ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी नहीं है। ग़ौरतलब है कि आरबीआई की गाइडलाइन में लोन सेटलमेंट का प्रावधान है।

बीते कुछ वर्षों में एनबीएफसी (NBFCs) ने अपना दायरा काफ़ी बढ़ाया है, जिसके फलस्वरुप ख़ासकर गरीब तबके और मध्यम वर्ग के लोगों को लोन मिलने में आसानी हुई है। बैंकों की तुलना में अब कम डॉक्यूमेंटेशन में लोगों को लोन तो मिल जाता है, मगर ईएमआई बाउंस की समस्या मुश्किलें बढ़ा देती है और फिर शुरू होता है रिकवरी एजेंटों के रिकवरी का दौर। इन सबके बीच ‘फेक लोन ऐप’ (Fake Loan Apps) का चलन भी बढ़ा है।

उल्लेखनीय है कि गूगल ने सितंबर, 2022 से अगस्त, 2023 के बीच प्ले स्टोर से 2200 से भी अधिक फेक लोन ऐप को हटाया है।



फेक लोन ऐप का जाल

एनबीएफसी तक लोगों की पहुंच जैसे-जैसे सुलभ होती गई, उसके साथ ही तमाम दिक़्क़तें भी बढ़ने लगीं। ‘गूगल प्ले स्टोर’ पर कई फेक लोन ऐप्स ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई, जिसका खामियाज़ा छपरा के अविनाश कुमार जैसे लोग भुगत रहे हैं।

अविनाश बिहार के छपरा में कपड़े के व्यापारी हैं। वर्ष 2022 में एक रोज़ प्ले स्टोर पर वह किसी आरबीआई रजिस्टर्ड लोन ऐप से लोन लेने की योजना बना रहे थे, उसी दौरान उनकी नज़र ‘एजी लोन’ (AG Loan) ऐप पर पड़ी। उन्होंने यह एप्लीकेशन इंस्टॉल कर लिया और कुछ ही मिनटों में बगैर लोन के लिए आवेदन किए उनके बैंक अकाउंट में चार हज़ार रुपये क्रेडिट हो गए।

ऑनलाइन लोन लेने की भी कुछ शर्तें और प्रक्रियाएं हैं। सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए, यानि कि अगर आपका क्रेडिट स्कोर सात सौ से अधिक है तो ऑनलाइन लोन मिलने की आपकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऑनलाइन लोन लेते वक़्त ग्राहकों के फ़ोन से कुछ एक्सेस मांगे जाते हैं, जैसे; आपके कॉन्टैक्ट का एक्सेस, गैलरी का एक्सेस, और पहचान के लिए आपकी सेल्फी, आधार और पैन कार्ड का फोटो आदि।

आरबीआई रजिस्टर्ड लोन ऐप भी आपका कॉन्टैक्ट एक्सेस लेते हैं, और समय पर ईएमआई न चुकाने पर आपके दोस्तों और रिश्तेदारों को कॉल व मैसेज कर लोन रिकवरी के लिए दबाव बनाते हैं। हालांकि, यह आरबीआई की गाइडलाइन के ख़िलाफ़ है। जबकि, फेक लोन ऐप में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है; ये ऐप न तो आपका सिबिल देखते हैं और न ही लोन अग्रीमेंट पर डिजीटली साइन कराते हैं।

जानकारी के अनुसार, फेक लोन ऐप में लॉगिन कर अपना बैंक अकाउंट विवरण डालते ही आपके बैंक अकाउंट में एक हज़ार से लेकर 10 हज़ार के बीच राशि क्रेडिट हो जाती है। हालांकि, इस तरह के अधिकांश ऐप में चार हज़ार रुपये क्रेडिट किए जाते हैं और बगैर आपको जानकारी दिए एक सप्ताह में लगभग दोगुनी राशि वसूल की जाती है।

कुछ ऐसा ही हुआ था छपरा के अविनाश कुमार के साथ। उनके बैंक अकाउंट में चार हज़ार रुपये क्रेडिट होने के बाद चौथे रोज़ से ही उनके पास फोन कॉल और मैसेज आने शुरू हो गए। अविनाश बताते हैं, “ऐसी कोई गाली नहीं बची थी जो एजी लोन ऐप के रिकवरी एजेंट ने मुझे न दी हो। उनकी ओर से मेरा मॉफ्ड इमेज बनाकर मुझे व्हाट्सएप पर भेजा जाता था। मेरे कई दोस्तों और रिश्तेदारों को भी उन्होंने परेशान करना शुरू कर दिया था।”

दुमका के ही अंकित सिन्हा साल 2022 की एक घटना का ज़िक्र करते हुए बताते हैं, “मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत थी और मैं प्ले स्टोर पर लोन ऐप ढूंढ़ रहा था, उसी दौरान ‘क्रेजी कैश’ (Crazy Cash) नामक लोन ऐप का रिव्यू मुझे अच्छा दिखा और मैंने उसे इंस्टॉल कर लिया। इंस्टॉल करते ही मुझसे सबसे पहले मेरा बैंक अकाउंट नंबर मांगा गया, जबकि आमतौर पर बैंक अकाउंट की प्रक्रिया सबसे अंत में होती है और उससे पहले सेल्फी, ऐड्रेस वेरिफिकेशन वगैरह किया जाता है। लेकिन इस एप्लीकेशन में बैंक अकाउंट विवरण देते ही पल भर में मेरे बैंक अकाउंट में सात हज़ार रुपये क्रेडिट हो गए।”

अंकित का कहना है कि आने वाले एक महीने तक उन्हें मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ीं। रिकवरी के नाम पर अंकित से 16 हज़ार रुपये मांगे जाने लगे। अंकित कहते हैं, “आज भी मैंने वह सात हज़ार रुपये खर्च नहीं किए हैं कि शायद कभी मुझसे मूल राशि मांगी जाए और तब मैं दे सकूं।”

लोन ऐप के रिकवरी एजेंट द्वारा ग्राहकों का शोषण किए जाने की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। दुमका के ही शुभम कुमार गुप्ता एक मॉल में सात हज़ार रुपये मासिक आय पर नौकरी करते हैं। दिसंबर, 2023 में उनकी नौकरी चली गई जिसके बाद आर्थिक तंगी की वज़ह से उन्होंने रिंग ऐप से 10 हज़ार का लोन लिया और वक़्त पर उसे चुका नहीं पाए। हालांकि, शुभम ने रिकवरी एजेंट को फ़ोन पर यह आश्वस्त किया कि वह जल्द ही भुगतान कर देंगे।

शुभम बताते हैं, “एक रोज़ मैं किसी काम से रांची गया था, तभी पापा ने फ़ोन किया कि घर पर लोन रिकवरी एजेंट आए हैं। फिर मैंने उनसे बात की तो मुझे गालियां दी जाने लगीं और कहा गया कि यदि मैंने तुरन्त पैसा नहीं भेजा तो मेरे पड़ोसियों को लोन के बारे में बता दिया जाएगा। उसके बाद मैंने एक दोस्त से कर्ज़ लेकर रिंग ऐप का लोन चुकाया। लोन ऐप वालों ने मुझे इस कदर परेशान किया कि कई बार लगता था ‘आत्महत्या कर लूं’।”

वही, दुमका ज़िले के ही आकाश कुमार (बदला हुआ नाम) पेशे से कंपाउंडर हैं। वह एक नेत्र चिकित्सक के यहां नौकरी करते हैं। रिंग ऐप से आकाश ने भी 10 हज़ार रुपये लोन लिया था और लगातार ऐप के एजेंट से संपर्क में थे कि पैसा मिलने पर बकाया राशि का भुगतान कर देंगे। वह बताते हैं, “पिछले महीने मैं क्लिनिक में था। घर पर मेरी माँ थी। उस समय रिंग ऐप के दो रिकवरी एजेंट मेरे घर पहुंच गए और आसपास के लोगों को बता दिया कि मैंने लोन लिया है और पैसा नहीं लौटा रहा हूँ। आज जब भी मैं मुहल्ले से गुज़रता हूं, तो पड़ोसी मुझे अज़ीब निगाहों से देखते हैं।”




बैंकों के लिए क्या हैं आरबीआई के निर्देश?

आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक़,

  • अगर बैंक या एनबीएफसी रिकवरी एजेंट का सहारा लेते हैं तो उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि ये एजेंट आरबीआई के ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ के दायरे में रहकर ही अपना काम करें।
  • लोन सेटेलमेंट के वक़्त बैंकों या एनबीएफसी की ओर से ग्राहकों को वे सभी विकल्प दिए जाने चाहिए जो मौजूद हैं। बैंक या एनबीएफसी किसी भी तरह का शोषण नहीं कर सकते हैं।
  • लोन रिकवरी के लिए बैंक या एनबीएफसी तब तक किसी तीसरे पक्ष को लोन की जानकारी नहीं दे सकती है जब तक कि कानूनी रूप से इसकी ज़रूरत न पड़े।
  • अगर बैंक या एनबीएफसी ग्राहकों की किसी भी चल-अचल संपत्ति की नीलामी कर रहे हैं, तो उन्हें इसे ‘Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002 (SARFAESI Act)’ और ‘Security Interest (Enforcement) Rules, 2002’ के प्रावधानों के तहत ही करना होगा।
  • बैंक आपके लोन कॉन्ट्रैक्ट में आपकी संपत्ति को कब्जे में लेने का प्रावधान भी रख सकते हैं, ये आपको पहले से चेक कर लेना चाहिए क्योंकि डिफॉल्ट की स्थिति में ये क्लॉज वैध होने पर बैंक के पास क़ब्ज़े का अधिकार होगा। कॉन्ट्रैक्ट में नोटिस पीरियड, उससे छूट और क़ब्ज़े की प्रक्रिया का विवरण दर्ज़ होना चाहिए।

रिकवरी एजेंट के लिए क्या हैं निर्देश?

आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार,

  • रिकवरी एजेंट ग्राहकों को न तो किसी भी वक़्त कॉल कर सकते हैं और न ही किसी भी ऊटपटाँग समय पर घर आ सकते हैं। निर्देश के मुताबिक़, एजेंट केवल सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक ही ग्राहकों को कॉल कर सकते हैं।
  • रिकवरी एजेंट ग्राहकों को न तो किसी के सामने शर्मिंदा कर सकते हैं और न ही उनके साथ दुर्व्यवहार कर सकते हैं।
  • एजेंट जब ग्राहकों से मिलते हैं तब उन्हें अपनी आईडी के साथ-साथ ऑथराइज़ेशन लेटर दिखाना चाहिए।
  • बैंकों की ओर से ग्राहकों को रिकवरी एजेंट और एजेंसियों की जानकारी देनी चाहिए।
  • एजेंट रविवार को न तो ग्राहकों को कॉल कर सकते हैं और न ही होम विज़ीट कर सकते हैं।

आरबीआई के इन निर्देशों के बावजूद मोहम्मद जुबेर, अंकित और अविनाश जैसे युवाओं का शोषण होता है और वे यातनाएं झेलते हैं। ये युवा फेक लोन ऐप की राशि का भुगतान भी कर देते हैं, ताकि इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा की हानि न हो। ऐसे में बेहद ज़रूरी है कि फेक लोन ऐप्स पर आरबीआई सख़्ती से पेश आए।

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