आदर्श ग्राम योजना: विकास से कोसों दूर ‘सांसद का गोद लिया गाँव’

आदर्श ग्राम योजना: विकास से कोसों दूर ‘सांसद का गोद लिया गाँव’

आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसदों को वर्ष 2016 तक अपने लोकसभा क्षेत्र में एक आदर्श गाँव को विकसित करना था, जबकि साल 2019 तक तीन और 2024 तक ऐसे पाँच गाँवों की पहचान कर उन्हें विकसित करना था। इस योजना का उद्देश्य यह था कि जो आदर्श गाँव विकसित हो रहे हैं, उनसे प्रेरित होकर निकटवर्ती ग्राम पंचायत भी उन उपायों पर काम करें।

कड़कड़ाती धूप, लू के गर्म थपेड़ों और 45 डिग्री तापमान की तपिश के बीच आसमान में हेलीकॉप्टर की आवाज़ सुनाई दी। दोपहर के क़रीब दो बजे शिकारीपाड़ा प्रखंड के झुनकी पंचायत के भिलाईटांड गाँव में स्थित माँझी थान में कुछ युवक और बुज़ुर्ग बैठे थे। हेलीकॉप्टर की आवाज़ सुनते ही उनमें से एक बुज़ुर्ग ने कहा, “लगता है बरसाती मेंढकों के आने का समय हो गया है।”

बुज़ुर्ग की यह बात सुनकर माँझी थान में बैठे दूसरे लोग ठहाके लगाकर हँसने लगे। ग़ौरतलब है कि झुनकी पंचायत, जिसके अंतर्गत कुल नौ गाँव (छोटा चपिरिया, बड़ा चपिरिया, भिलाईटांड, रखबनी, कजलादह, झुनकी, दूधी कंदर, कुरुमटांर और केंदपहाड़ी) हैं; उसमें से भिलाईटांड गाँव को बीजेपी के वर्तमान सांसद सुनील सोरेन ने गोद लिया है। बावजूद उसके वहाँ विकास कार्यों की उदासीनता ऐसी है कि बिजली के खंभे हैं, मगर गाँव में स्ट्रीट लाइट एक भी नहीं है। बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और पलायन आदि की समस्याएँ आदर्श ग्राम को मुँह चिढ़ाती दिख रही हैं।


भिलाईटांड गाँव के 60 वर्षीय चुंडा किस्कू •

ग्रामीण लगा रहे सांसद से गाँव आने की गुहार

भिलाईटांड के 60 वर्षीय चुंडा किस्कू कहते हैं, “शौच के लिए टॉर्च लेकर खेत में जाना पड़ता है। रात में कभी साँप काट ले तो ये चुनावी उम्मीदवार या मौजूदा सांसद हमारी मदद करने थोड़े ही आएँगे। टूटा-फूटा घर है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमें आवास नहीं मिला है। गाँव में बेरोज़गारी है। बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है।”

चुंडा किस्कू द्वारा उक्त समस्याएँ बताने पर हमने उनसे पूछा कि क्या आपको आपके गाँव के आदर्श गाँव होने के बारे में पता है, जिसे वर्तमान सांसद सुनील सोरेन ने गोद लिया है? जवाब में उन्होंने कहा, “बाल सफ़ेद हो गए; सब कुछ पता है हमें। कभी सुनील सोरेन से पूछिएगा कि कितनी दफ़ा वह झुनकी पंचायत या भिलाईटांड गाँव के ग्रामीणों की तकलीफ़ों का जायज़ा लेने आए हैं?”


भिलाईटांड के 65 वर्षीय सप्पा हेम्ब्रम •

65 वर्षीय सप्पा हेम्ब्रम कड़कड़ाती धूप में एक हाथ में डंडा और दूसरे में छाता लिए गाँव की ओर जा रहे थे। हमने उनको रोका और पूछा, “बाबा, धूप में कहाँ जा रहे हैं?” यह बात सुनकर सप्पा हेम्ब्रम ठहरे और हमारे क़रीब आए; उन्हें लगा कि शायद किसी सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है, तभी माँझी थान में भीड़ इकट्ठा है। हमने उनसे पूछा, “दुमका लोकसभा सीट में मतदान नज़दीक है। आपके गाँव को आदर्श योजना के तहत वर्तमान सांसद सुनील सोरेन ने गोद लिया है। मतदान को लेकर कितनी उम्मीदें हैं? गाँव में किस तरह का बदलाव देखना चाहते हैं?”

उक्त प्रश्नों के जवाब में सप्पा हेम्ब्रम कहते हैं, “भिलाईटांड में 24 घंटे में केवल पाँच घंटे बिजली रहती है। गाँव में एक भी चबूतरा नहीं है। गाँव में सांस्कृतिक केन्द्र नहीं है। जब एक साथ इतनी समस्याएँ हों तो बदलाव की उम्मीद कैसे करें?” उनका मानना है कि “कोई भी पार्टी ग्रामीणों का विकास नहीं करती है। चुनाव के दौरान हमारे साथ केवल छलावा किया जाता है।”


गाँव से पलायन कर रहे युवा बुधीराम हांसदा •

पलायन एक बड़ी समस्या

जब हम गाँव का हाल जान रहे थे, तभी हमारी नज़र वहीं से गुज़र रहे एक नौजवान पर पड़ी। उन्होंने अपना नाम बुधीराम हांसदा बताया। वह झुनकी पंचायत से पलायन करने वाले हज़ारों मज़दूरों में से एक हैं। बुधीराम बताते हैं, “हम ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। पाँचवीं कक्षा तक ही हमारी पढ़ाई हुई है। मैं पटना के एक मिठाई फैक्ट्री में काम करता हूँ। 10 हज़ार रुपये तनख़्वाह मिलती है, जिसमें से बड़ी मुश्किल से दो-तीन हज़ार रुपये घर भेज पाता हूँ। गाँव में रोज़गार की संभावनाएँ नहीं हैं, इसलिए रोज़गार के लिए दूर जाना पड़ता है। यदि सरकार हमारे लिए यहीं पर रोज़गार की व्यवस्था करे, तो हमें क्या ज़रूरत पड़ी है कि हम बिहार जाकर काम करें?”


लोकसभा चुनाव में मतदान करने के लिए गाँव आए शिरिल हेम्ब्रम •

भिलाईटांड गाँव के ही शिरिल हेम्ब्रम अपने घर के बाहर लकड़ियाँ चुन रहे थे। बातचीत के दौरान वह बताते हैं, “मैं केरल के एक होटल में शेफ़ हूँ। वहाँ मुझे 25 हज़ार रुपये मिलते हैं। यदि मैं भिलाईटांड गाँव में रह जाता तो आज मेरी ज़िन्दगी वैसी ही रहती जैसे गाँव के औसत लोगों की है। चुनाव आता है तो हम वोट दे देते हैं, लेकिन उससे तो केवल नेता का ही फ़ायदा होता है। हम आम लोग तो मझधार में ही रह जाते हैं।”

शिरिल आगे कहते हैं, “मैं छुट्टी लेकर केवल इसलिए गाँव आया हूँ ताकि मतदान में भाग ले सकूँ। मतदान इसलिए करता हूँ कि मेरा वोट ख़राब न हो; अन्यथा किसी भी प्रत्याशी पर मुझे यक़ीन नहीं है। उन लोगों ने हम भोली-भाली जनता का काफ़ी नुक़सान किया है।”


पानी भरने के लिए हांडी साफ़ करतीं 55 वर्षीय ननकी मुर्मू •

आवास, बिजली और पानी अहम मुद्दे

55 वर्षीय ननकी मुर्मू चापाकल से पानी भरने के लिए हांडी साफ़ कर रही थीं। वह विधवा हैं। पीलिया होने के कारण वर्षों पहले उनके पति का देहान्त हो गया था। अब वृद्धा पेंशन के रूप में मिलने वाली एक हज़ार रुपये की राशि ही उनके लिए संजीवनी है। अपनी व्यथा बताते हुए ननकी कहती हैं, “जो नेता वोट माँगने आते हैं, उनसे कहिए कि हमको एक मकान दिला दें। हम उन्हें बहुत दुआएँ देंगे।” ननकी को पीएम आवास के तहत घर नहीं मिला है, वह कहती हैं कि “जो पार्टी हमें घर दिलाएगी, हम उसी को वोट देंगे।”


वार्ड सदस्य रोसो हेम्ब्रम के पति प्रेम मरांडी पशुओं को चारा खिलाते हुए •

भिलाईटांड गाँव के वार्ड नंबर-एक की वार्ड सदस्य रोसो हेम्ब्रम के पति प्रेम मरांडी कहते हैं, “सांसद सुनील सोरेन ने झुनकी पंचायत के भिलाईटांड गाँव को गोद लिया था। पूरे गाँव में केवल दो जल मीनार हैं और दोनों ख़राब। वार्ड में चार चापाकल में से दो ख़राब हैं।”

“गाँव में दो सबसे बड़ी समस्या बिजली और पानी की है। गाँव इतना सुदूर इलाक़े में है कि यहाँ विरले ही कोई मीडिया या फिर नेता आते हैं,” मरांडी ने यह कहकर अपनी बात पूरी की।

भिलाईटांड के ग्रामीणों से बात करने और उनकी समस्याएँ सुनने के बाद यही लगता है कि विकास की बात यहाँ के लिए स्वप्न सरीखी है।


ख़राब जल मीनार के पास पानी की समस्या पर बात करते ग्रामीण •

क्या कहते हैं ज़िम्मेवार अधिकारी?

शिकारीपाड़ा के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) एजाज़ आलम से आदर्श ग्राम की समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर वह कहते हैं, “मनरेगा के तहत जो भी योजनाएँ आती हैं, हम ग्रामीणों तक उन्हें पहुँचाते हैं। हमने गाँव में कैंप लगाकर लोगों का पेंशन शुरू कराने में उनकी मदद की। जो लोग अबुआ आवास के लिए योग्य हैं; उनको अबुआ आवास मिला है। ‘सरकार आपके द्वार’ के तहत भी हमने पंचायत में कैंप लगाया था।”

वहीं, प्रखंड के पंचायती राज पदाधिकारी संजीव ने भिलाईटांड गाँव में विकास कार्यों की कमी पर बात करते हुए कहा कि “प्रखंड स्तर से जो भी कार्य होने थे, वह हमने किया।” जबकि, गाँव में पानी की किल्लत, स्ट्रीट लाइट, पलायन आदि की समस्या पर वह कहते हैं कि “इस संबंध में सांसद महोदय से बात करें।”

शिकारीपाड़ा के बीडीओ एजाज़ आलम द्वारा योजनाओं को लेकर कही गई बातों की पुष्टि के लिए हमने झुनकी पंचायत के मुखिया विनय सोरेन से बात की। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत जो भी योजनाएँ आती हैं; हम उन्हें लागू करते हैं, लेकिन ‘आदर्श ग्राम योजना’ के तहत भिलाईटांड गाँव को जो लाभ मिलना चाहिए था - वह नहीं मिला।

ग्राम प्रधान आगे कहते हैं, “सांसद सुनील सोरेन ने आदर्श ग्राम योजना के नाम पर केवल मुझे इधर-उधर दौड़ाया। उन्होंने वादे कई कार्यों के लिये किए, जबकि हक़ीक़त में यहाँ केवल दो पीसीसी सड़क निर्माण के अलावा कुछ भी नहीं हुआ।” सांसद से इस संबंध में संवाद होने के सवाल पर विनय सोरेन ने निराशा भरे स्वर में कहा, “वह सांसद हैं और हम मुखिया; ऐसे में उनको क्या ही बोल सकते हैं! हमें सांसद जी ने कहा था कि गाँव में तालाब और चेक डैम वगैरह बनेंगे, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। आख़िर में हम थक गए और कहना ही छोड़ दिए।”

“प्रखंड कार्यालय की ओर से कुछ जगहों पर बोरिंग कराया गया है, लेकिन अभी तक उसकी नपाई नहीं हुई। केवल बोरिंग करके छोड़ दिया गया है; उसमें चापाकल भी तो लगाना पड़ता है! केवल बड़ा चपिरिया और कजलादह गाँव में पीसीसी का निर्माण हुआ है,” झुनकी के मुखिया विनय सोरेन ने अपनी बात में जोड़ा।

वहीं, झुनकी के उप-मुखिया सागर मोहन भिलाईटांड गाँव में बदहाली को लेकर कहते हैं, “यह तो सच है कि गाँव में ‘आदर्श ग्राम योजना’ के तहत कुछ भी काम नहीं हुआ है। यह पंचायत ही विकास से कोसों दूर है। हमने ख़ुद सासंद से कई बार गाँव के विकास के लिए अनुरोध किया, लेकिन उससे कोई फ़ायदा नहीं हुआ।”

जबकि, रखबनी गाँव के प्रधान प्रदीप सिंह बताते हैं कि रखबनी की हालत भी वैसी ही है जैसी भिलाईटांड और झुनकी गाँव की। वह कहते हैं, “हमारे गाँव में जल संकट एक बड़ी समस्या है। जल मीनार ख़राब पड़ा हुआ है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। आदर्श ग्राम योजना केवल नाम भर है, लेकिन विकास की रफ़्तार में हमारा गाँव भी पीछे छूट गया है। जो भी योजनाएँ आती हैं; उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। यहाँ तक कि हमने हमारे सांसद को रखबनी गाँव में कभी नहीं देखा है।”


गाँव के सार्वजनिक चापाकल से पानी भरकर घर जाती महिलाएँ •

सांसद एवं उनका आदर्श ग्राम

भिलाईटांड गाँव में सड़क, बिजली, स्ट्रीट लाइट, सांस्कृतिक भवन, पीएम आवास और पलायन आदि की दिक्कतों के बारे में पूछे जाने पर दुमका लोकसभा क्षेत्र के सांसद सुनील सोरेन कहते हैं, "देखिए, कुछ न कुछ कमियाँ रह ही जाती हैं; उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा। एक बार के कार्यकाल में सब कुछ संभव नहीं है। हालाँकि, भिलाईटांड के लोगों को हमने आवास दिलाया, उनके लिए बिजली-पानी की व्यवस्था की। अगर अभी भी समस्याएँ हैं तो आपने मेरे संज्ञान में दिया है; उस पर भविष्य में काम किया जाएगा।”

वहीं, उक्त समस्याओं के बारे में सांसद प्रतिनिधि मुन्ना सिंह कहते हैं, “कोरोना के कारण लगभग दो साल कार्य प्रभावित रहा। धीरे-धीरे ही सही लेकिन स्थिति बदलेगी। विधानसभा चुनाव में यदि भाजपा की सरकार बनती है तो गाँव पर और भी अधिक ध्यान दिया जाएगा। फ़िलहाल तो आदर्श आचार संहिता लागू है, इस स्थिति में कोई भी योजना स्थगित रहती है।”

पलायन के मसले पर वह कहते हैं कि “ यह एक अलग मसला है। बेहतर रणनीतियों के माध्यम से उस पर काम किया जा सकता था, लेकिन जैसा कि मैंने आपको पहले ही कहा की कोरोना ने कार्यों को काफ़ी प्रभावित किया है। अन्यथा हमलोग विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। सांसद सुनील सोरेन की नज़र गाँव पर है और वह उसके विकास के लिए चिंतित रहते हैं।”

“एक बच्चा जब नर्सरी कक्षा में प्रवेश लेता है, तो वह धीरे-धीरे दूसरी, तीसरी और चौथी होते हुए 10वीं में बोर्ड परीक्षा देता है। यानि कि किसी भी चीज़ के लिए वक़्त चाहिए। हमने कोशिश की है, आगे भाजपा और भी विकास करेगी,” यह कहकर सांसद प्रतिनिधि ने अपनी बात पूरी की।

ग़ौरतलब है कि एक ओर दुमका के सांसद एवं उनके प्रतिनिधि के तमाम दावे एवं आश्वासन हैं। जबकि, दूसरी ओर ग्रामीण विकास मंत्रालय की वह रिपोर्ट है जो यह खुलासा करती है कि सासदों की अपर्याप्त रुचि और फंड की कमी के कारण सांसद आदर्श ग्राम योजना प्रभावित हो रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दुमका लोकसभा के भिलाईटांड गाँव सहित झारखंड एवं देशभर के दूसरे आदर्श गाँवों के मतदाता उनके वहाँ होने वाले मतदान में विकास के इन मुद्दों को कितना ध्यान में रखते हैं।

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