आख़िर क्यों आज़ादी के 76 साल बाद भी बूंद-बूंद पानी को तरस रहा झारखंड का पहाड़िया समुदाय

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'आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसदों को वर्ष 2016 तक अपने लोकसभा क्षेत्र में एक आदर्श गाँव को विकसित करना था, जबकि साल 2019 तक तीन और 2024 तक ऐसे पाँच गाँवों की पहचान कर उन्हें विकसित करना था। इस योजना का उद्देश्य यह था कि जो आदर्श गाँव विकसित हो रहे हैं, उनसे प्रेरित होकर निकटवर्ती ग्राम पंचायत भी उन उपायों पर काम करें।' Read more

'झारखंड में अभी तक केवल दो आदिवासी महिला ही सांसद बन सकीं, जबकि जनजातीय बाहुल्य आबादी के कारण इस राज्य में आदिवासियों के लिए चार लोकसभा सीट राजमहल, दुमका, सिंहभूम, खूंटी व लोहरदग्गा आरक्षित हैं.' Read more

'प्रदेश भर में लाह किसानों के लिए मौसम की बेरुख़ी परेशानी का सबब बना हुआ है. फसल विशेषज्ञ एवं किसानों के मुताबिक़, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान, बेमौसम बारिश आदि विभिन्न मौसमी घटनाएं लाह के उत्पादन को प्रभावित कर रही हैं.' Read more

'गर्मी अपने चरम पर है; ऐसे में झारखंड की उपराजधानी दुमका समेत चतरा, गोड्डा, हज़ारीबाग़, जामताड़ा और कोडरमा आदि ज़िलों में कई घंटों तक बिजली की कटौती लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है।' Read more

'पिछले एक वित्तीय वर्ष के दौरान पलामू ज़िला के जिन 443 कुपोषित बच्चों का कुपोषण उपचार केंद्र में इलाज हुआ, उनमें से 203 बच्चे अनुसूचित जाति से हैं.' Read more

'महिलाओं ने कई बार जंगल से लकड़ी लेकर जाने वाली पिकअप वैन को रोका. परिणामस्वरूप, कोलिबेरा के जंगलों में पेड़ की कटाई और सूखी लकड़ियों की अवैध ढुलाई लगभग बंद है.' Read more

'झारखंड (Jharkhand) में वज्रपात से हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है. विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक तापमान (Global Warming) के कारण बिजली गिरने की घटना झारखंड सहित अन्य जगहों पर भी बढ़ी है.' Read more