Jharkhand Power Crisis: पड़ोसी देश और दूसरे प्रदेशों को बिजली आपूर्ति करने वाले राज्य में आख़िर क्यों है बिजली संकट
गर्मी अपने चरम पर है; ऐसे में झारखंड की उपराजधानी दुमका समेत चतरा, गोड्डा, हज़ारीबाग़, जामताड़ा और कोडरमा आदि ज़िलों में कई घंटों तक बिजली की कटौती लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है।
दुमका में इस कदर बिजली काटी जा रही है कि लोगों के घरों में इंवर्टर तक चार्ज नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि ज़िले में अधिकांश लोग अपने घर की छतों पर सोने को मजबूर हैं। राज्य में मौजूद प्रचूर मात्रा के कोयले से एक तरफ जहां कई मेट्रो शहर रोशन हो रहे हैं; वहां 24*7 बिजली रह रही है, वहीं ख़ुद झारखंड बिजली की समस्या से जूझ रहा है।
पावर स्टेशन, दुमका •
राज्य के लिए केवल 1300 मेगावॉट
झारखंड में पावर प्लांट की क्षमता 6200 मेगावॉट की है, लेकिन राज्य को केवल 1300 मेगावॉट ही बिजली मिल पाती है। प्रदेश को केवल बरसात के मौसम में 1600 यूनिट बिजली मिल पाती है। वहीं, यदि गर्मी के मौसम की बात करें तो झारखंड में बिजली की मांग बढ़कर 2500-3000 मेगावॉट तक हो जाती है। ऐसे में इस मांग की पूर्ति करने के लिए अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ती है।
झारखंड में पर्याप्त बिजली न मिलने की कई वज़हें बताई जाती हैं, जिसे समझने के लिए मैथन थर्मल पावर लिमिटेड, धनबाद के बिजली ख़रीद समझौते को समझना पड़ेगा। जब मैथन थर्मल पावर लिमिटेड की नींव रखी गई थी तब राज्य से कहा गया था कि वे बिजली ख़रीद समझौता कर लें, लेकिन झारखंड राज्य ने यह समझौता करने से इंकार कर दिया। यही कारण है कि मैथन थर्मल पावर लिमिटेड से उत्पादित बिजली दिल्ली, बंगाल और केरल भेज दी जाती है।
अदानी पावर प्लांट, गोड्डा •
अदानी पावर प्लांट से बांग्लादेश भेजी जाती है बिजली
झारखंड के गोड्डा में स्थित अदानी पावर प्लांट से 1600 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। प्लांट से उत्पादित बिजली बांग्लादेश भेजी जाती है। वहीं, शर्तों की बात करें तो अदानी ने झारखंड को 400 मेगावॉट बिजली देने का करार किया था। हालांकि, जानकारी के अनुसार उसकी पूरी प्रक्रिया होनी अभी बाकी है।
झारखंड को अदानी पावर प्लांट से बिजली मिलनी शुरू क्यों नहीं हुई है? उसकी वज़ह जानने के लिए हमने 23 अप्रैल को अदानी गोड्डा के आधिकारिक ईमेल पर एक मेल भेजा है, ताकि संबंधित अधिकारियों से कोई स्पष्ट जवाब मिल पाए।
ग़ौरतलब है कि झारखंड के गोड्डा में स्थित अदानी पावर प्लांट से साल 2023 में बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति की शुरुआत कर दी गई थी; तभी से प्लांट से 748 मेगावॉट बिजली बांग्लादेश को भेजी जा रही है। प्लांट में 800 मेगावॉट की दो यूनिट है। यह पावर प्लांट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पावर प्लांट में से एक है। अदानी पावर प्लांट, गोड्डा के साथ बांग्लादेश ने 25 साल का पावर एक्सचेंज समझौता किया है।
ऐसे में बड़ा सवाल है कि जो राज्य अपने पड़ोसी देश को बड़े पैमाने पर बिजली आपूर्ति कर सकता है, भला उस राज्य में बिजली की इतनी अधिक किल्लत क्यों? यहां मामले की तह तक जाने के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) को समझना पड़ेगा। यह वो कंपनी है जिसे झारखंड सरकार ने राज्य में बिजली आपूर्ति का कॉन्ट्रैक्ट दिया है।
बिजली कटने के बाद गर्मी से बेहाल बच्चे एवं परिजन •
वज़ह एक ‘बिजली कटौती’, समस्याएं अनेक
रसीकपुर निवासी स्थानीय युवक दानी मंडल गर्मी के दिनों में बिजली कटौती की समस्याओं को लेकर बताते हैं, “दुमका में बिजली कटौती की समस्या कई वर्षों से है। गर्मी आते ही बिजली की समस्या बढ़ जाती है। हमलोग बहुत गरीब हैं; हमारे घर में इंवर्टर भी नहीं है - ऐसे में बिजली कट जाने पर न तो रात में नींद हो पाती है और न ही दिन में पढ़ाई।”
वहीं, स्टेशन रोड बढ़ई पारा निवासी अजय शर्मा गर्मी के कारण होने वाली समस्याओं पर बात करते हुए कहते हैं, “दुमका बिजली विभाग के कर्मचारियों को आम लोगों की समस्याओं से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। हम आम लोग जब भी बिजली ऑफिस के एसडीओ अवधेश कुमार बक्शी को कॉल करते हैं, तो यह कहते हुए फ़ोन काट देते हैं कि इस बारे में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से बात करें।”
बिजली विभाग, दुमका •
बिजली विभाग, दुमका टाउन के एसडीओ अवधेश कुमार बक्शी से जब हमने ज़िले में बिजली की कटौती का कारण और आम लोगों की समस्याओं के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, “हमारे पास दिनभर में लोगों के 40-50 कॉल्स आते हैं। यदि सबके फ़ोन का जवाब देने लग जाएं तो ऑफिशियल काम कब करेंगे? जितनी बिजली की खपत दुमका ज़िले को है, उतनी यूनिट हमें नहीं मिलती है।”
ज़िले के एक प्लंबर गुड्डन बिजली कटौती की समस्याओं पर बात करते हुए कहते हैं, “दुमका में बिजली कटौती की समस्या अपने चरम पर है। मैं अपनी टीम के साथ कई कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने जाता हूं। हमारी मशीन में ड्रिलर बगैर बिजली के चल ही नहीं सकता है। हाल के दिनों में इस कदर नुक़सान होता है कि क्या बताऊं। चार-चार घंटे बिजली नहीं आती है और हम ड्रील नहीं कर पाते हैं। हमारे साथ जो दिहाड़ी मिस्त्री रहते हैं, उन्हें ऐसी स्थिति में भी 350 रुपये मज़दूरी देनी पड़ती है।”
हज़ारीबाग के स्थानीय पत्रकार राजू बताते हैं, “यूं तो हज़ारीबाग में अच्छी बिजली रहती थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बिजली की काफ़ी समस्या है। यहां दिनभर में 10-12 घंटे बिजली गायब रह रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और गंभीर है। वोल्टेज की समस्या के कारण भी लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।”
बिजली कटौती का कारण पूछने पर हज़ारीबाग बिजली विभाग के एसडीओ अरविंद कुमार ने हमें बताया कि बीते दिनों रामनवमी पूजा के दौरान जुलूस निकला था, जिसकी वज़ह से बिजली काटने का आदेश था। कई बार दामोदर वैली कारपोरेशन (डीवीसी) का दो-तीन घंटा लोडशेडिंग (मांग अधिक और आपूर्ति कम) रहता है, उस वज़ह से भी बिजली नहीं रहती है। कभी-कभी ट्रांसफॉर्मर जल जाता है, उस कारण भी बिजली बाधित रहती है। उसके अलावा, तेज़ हवा चलती है तो बिजली आपूर्ति बाधित होती है। कभी-कभी लोड बढ़ने के कारण लोडशेडिंग भी बढ़ जाता है।”
जामताड़ा के कुमोद राय बिजली की समस्याओं पर बात करते हुए बताते हैं, “हर वर्ष गर्मियों में यहां बिजली काटना बड़ा मसला होता है, लेकिन चुनावी उम्मीदवार हम मतदाताओं को चुनाव से पहले उम्मीदों का लड्डू दे देते हैं और उसके बाद गायब हो जाते हैं। कई बार तो आठ-आठ घंटे बिजली नहीं रहती है। हमलोग बिजली विभाग में फ़ोन करते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता है।”
वहीं, कोडरमा के सुदेश सिंह का कहना है कि “कोडरमा को शुरू से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा है। बिजली संकट के कारण बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर गहरा प्रभाव पड़ता है।” सुदेश पेशे से इलेक्ट्रीशियन हैं। उनका पूरा व्यवसाय ही बिजली पर निर्भर है। कई बार वे घरों में वायरिंग या बिजली से संबंधित कोई काम करने जाते हैं तो उन्हें बिजली के लिए घंटों इतंज़ार करना पड़ता है। निराशा भरे स्वर में वह कहते हैं, “हमलोग तो अपनी ज़िन्दगी में कष्ट काट ही रहे हैं, अब लगता है बच्चों को भी यह कष्ट काटना पड़ेगा।”
इन सबके बीच समाजसेवी एवं पूर्व विधायक कमलाकांत प्रसाद सिन्हा ने झारखंड में बिजली संकट के लिए राजनेताओं की राजनीतिक इच्छाशक्ति को ज़िम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जिस झारखंड से पूरा देश रोशन हो रहा है और जहां से बिजली पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंच रही है, उसी राज्य के कई ज़िलों में यदि आठ से 10 घंटे बिजली न रहे तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
कमलाकांत प्रसाद आगे कहते हैं, “हमें विकल्पों की ओर ध्यान देनी की ज़रूरत है और तेज़ी से सोलर लाइट की ओर शिफ्ट होना पड़ेगा। उससे उपभोक्ताओं की जेब भी कम ढीली होगी और पर्याप्त बिजली भी मिलेगी।”
लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से दुमका लोकसभा सीट के लिए नामित सांसद प्रत्याशी नलीन सोरेन •
इलाक़े में बिजली कटौती पर क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि?
लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से दुमका सीट के लिए नामित सांसद प्रत्याशी नलीन सोरेन हैं। उनसे यह पूछे जाने पर कि क्या जेएमएम के चुनावी घोषणापत्र में दुमका के बिजली कटौती की समस्या के समाधान पर ज़ोर दिया गया है? वह कहते हैं, “हमारी पार्टी ऐसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाती है और यह कोशिश होती है कि भीषण गर्मी में किसी भी व्यक्ति को कोई समस्या न हो। मसला यह है कि विशेषकर दुमका ज़िले को खपत के हिसाब से बिजली नहीं मिलती है। हमें विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा, जैसे; जल विद्युत (हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी)। यदि मैं सांसद बनूंगा तो बिजली कटौती की समस्या से लोगों को निजात दिलाऊंगा।”
नलीन सोरेन आगे कहते हैं, “बदलते वक़्त के साथ लोगों का बिजली खपत भी बढ़ा है। लोग एयर कंडीशनर (AC) खरीदते हैं, लेकिन बिजली विभाग में रिपोर्ट नहीं कराते हैं। उससे बिजली विभाग के पास सही आंकड़ा नहीं पहुंचता है, जिसके कारण वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। बिजली कटौती की तमाम वजहों में से एक वज़ह यह भी है।
बता दें कि नलीन सोरेन, साल 1990 से लगातार सात बार विधायक रहे हैं। फ़िलहाल वह दुमका की शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
वहीं, दुमका टाउन बिजली विभाग के एसडीओ अवधेश कुमार बक्शी ने भी घरों में बढ़ रही बिजली खपत को उपभोक्ताओं द्वारा बिजली विभाग में न रिपोर्ट कराए जाने को बिजली संकट का एक कारण बताया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अगर जागरूक होकर बिजली विभाग को अपनी बिजली ख़र्च की जानकारी देने लगें, तो वोल्टेज की समस्या में सुधार मुमकिन है। उससे हमें असल बिजली खपत का पता चलेगा और उस हिसाब से आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।
जनता को संबोधित करते हुए दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी की सांसद प्रत्याशी सीता सोरेन •
लोकसभा चुनाव में बिजली कटौती कितना बड़ा मुद्दा?
दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी सीता सोरेन अभी हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई हैं। उनके क्षेत्र में बिजली की भीषण समस्या है। दुमका में बिजली संकट को वह किस तरह से देखती हैं और आने वाले वक़्त में अगर सांसद बनती हैं, तो उसे कैसे दुरुस्त करेंगी वाले सवाल पर सोरेन कहती हैं, “यह सच है कि वर्तमान में दुमका ज़िले में बिजली की काफ़ी समस्या है। यदि मैं चुनाव जीतती हूं तो ज़ाहिर तौर पर इस दिशा में काम करूंगी, ताकि अपने क्षेत्र के लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े।”
हालाँकि, सीता सोरेन बिजली के विकल्प पर ज़ोर देनी की बात भी करती हैं। वह साफ़ शब्दों में कहती हैं, “यदि मैं चुनाव जीतती हूं तो सोलर सिस्टम पर अधिक ज़ोर दूंगी, ताकि लोगों को राहत मिले और बिजली के लिए पावर हाउस पर निर्भर न रहना पड़े।” ग़ौरतलब है कि सीता सोरेन जामा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रही हैं। वह जेएमएम संस्थापक शिबु सोरेन की बहू हैं और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुई हैं।
जनता के बीच हज़ारीबाग़ से बीजेपी प्रत्याशी मनीष जायसवाल •
वहीं, हज़ारीबाग़ से बीजेपी प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने कहते हैं, “यहां बिजली की समस्या थोड़ी अलग है। बिहार सरकार (जो अब झारखंड है) और दामोदर वैली कारपोरेशन (डीवीसी) के बीच काफ़ी पुराना समझौता है, जिसमें विवाद है। इसलिए जब कभी भी डीवीसी से कोई समस्या आती है तो हज़ारीबाग के लोगों को बिजली संबंधित दिक्कतें होती हैं।”
जायसवाल ने बताया कि “केन्द्र सरकार एक करोड़ घरों में सोलर लगा रही है, जिससे आने वाले समय में बिजली संकट ज़रूर कम होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि हज़ारीबाग़ में सांसद के तौर पर मुझे मौक़ा मिलता है, तो डीवीसी और सरकार के बीच जो विवाद है; उसको मैं दुरुस्त करने का काम करूंगा।” उल्लेखनीय है कि मनीष जायसवाल सदर हज़ारीबाग़ के विधायक भी हैं।
दिलचस्प यह है कि चुनावी उम्मीदवारों के घोषणापत्र में मौजूद तमाम वादों के बीच झारखंड में बिजली की समस्या के लिए कोई जगह नहीं है। सभी उम्मीदवार इस मसले को काफ़ी हल्के में ले रहे हैं; ऐसे जैसे बिजली कटौती केवल एक मामूली दिक़्क़त भर है। मगर उन्हें समझना होगा कि उससे जुड़ी कई ऐसे चीज़ें हैं जो आने वाले कल का भविष्य तक तय कर रही हैं।